इस्तांबुल में रूस-यूक्रेन शांति वार्ता: कैदियों की अदला-बदली पर सहमति, लेकिन युद्धविराम पर गतिरोध

Jitendra Kumar Sinha
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2 जून 2025 को इस्तांबुल में रूस और यूक्रेन के प्रतिनिधिमंडलों के बीच शांति वार्ता का दूसरा दौर आयोजित हुआ, लेकिन यह बैठक बिना किसी ठोस युद्धविराम समझौते के समाप्त हो गई। हालांकि, दोनों पक्षों ने मानवीय मुद्दों पर कुछ सहमति जताई, जिसमें 6,000 मृत सैनिकों के अवशेषों की अदला-बदली और गंभीर रूप से घायल युद्धबंदियों की वापसी शामिल है।


रूस की मांगें: यूक्रेन की संप्रभुता पर प्रश्नचिन्ह

रूस ने शांति वार्ता के दौरान यूक्रेन के सामने कठोर शर्तें रखीं, जिनमें क्रीमिया और चार अन्य क्षेत्रों पर रूस की संप्रभुता को मान्यता देना, यूक्रेन की सैन्य क्षमता को सीमित करना, और नाटो सदस्यता से परहेज करना शामिल है। इसके अतिरिक्त, रूस ने रूसी भाषा को आधिकारिक दर्जा देने और नाजी महिमा मंडन पर प्रतिबंध लगाने की मांग की। यूक्रेन ने इन शर्तों को अस्वीकार कर दिया है, इसे आत्मसमर्पण के समान मानते हुए।


यूक्रेन की प्रतिक्रिया: संप्रभुता और बच्चों की वापसी पर जोर

यूक्रेन ने रूस की मांगों को खारिज करते हुए अपनी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा पर जोर दिया है। यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमिर ज़ेलेंस्की ने युद्धबंदियों की अदला-बदली के अलावा, रूस द्वारा अपहृत लगभग 400 यूक्रेनी बच्चों की वापसी की मांग की। हालांकि, रूस ने केवल 10 बच्चों की वापसी पर सहमति जताई, जिसे यूक्रेन ने अपर्याप्त बताया।


सैन्य कार्रवाई: यूक्रेन की ड्रोन हमले और रूस की प्रतिक्रिया

वार्ता से एक दिन पहले, यूक्रेन ने "स्पाइडर वेब" नामक एक साहसिक ड्रोन अभियान के तहत रूस के रणनीतिक बमवर्षक बेड़े पर हमला किया, जिससे रूस की सैन्य शक्ति को गंभीर क्षति हुई। इसके जवाब में, रूस ने यूक्रेन पर अपने सबसे बड़े ड्रोन हमले किए, जिससे दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ गया।


भविष्य की वार्ता और संभावनाएं

यूक्रेन ने जून के अंत में और वार्ता की संभावना जताई है, लेकिन जोर दिया है कि प्रमुख मुद्दों का समाधान केवल राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की और राष्ट्रपति पुतिन के बीच सीधी बैठक से ही संभव है। तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोआन ने एक उच्च स्तरीय शिखर सम्मेलन की मेजबानी करने की इच्छा व्यक्त की है, जिसमें अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की भागीदारी भी संभावित है।


हालांकि इस्तांबुल में हुई वार्ता से कुछ मानवीय मुद्दों पर प्रगति हुई है, लेकिन युद्धविराम और शांति समझौते की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। दोनों पक्षों के बीच गहरे मतभेद बने हुए हैं, और युद्ध की समाप्ति के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की भूमिका और दबाव महत्वपूर्ण हो सकता है।

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