भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु जल संधि (Indus Waters Treaty) एक बार फिर चर्चा में है, और इस बार चीन भी इस जल संग्राम में कूद पड़ा है। भारत ने 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान को पानी के आंकड़े देना बंद कर दिया है, जिससे पाकिस्तान में पानी की किल्लत बढ़ गई है।
भारत की रणनीति: "पानी और खून एक साथ नहीं बह सकते"
भारत ने सिंधु जल संधि को स्थगित कर दिया है और पाकिस्तान को बहने वाली छह नदियों के पानी का उपयोग अपने हित में करने का फैसला किया है। इससे पाकिस्तान में झेलम नदी पर मंगला बांध और सिंधु नदी पर तरबेला बांध में पानी की कमी हो गई है, जिससे खेती पर असर पड़ा है।
पाकिस्तान की प्रतिक्रिया: "युद्ध की कार्रवाई"
पाकिस्तान के जनरल शमशाद मिर्ज़ा ने भारत के इस कदम को अंतर्राष्ट्रीय कानूनों की अवहेलना बताया है और कहा है कि यदि पाकिस्तान के हिस्से के पानी को रोका गया, तो इसे युद्ध की कार्रवाई माना जाएगा।
चीन की भूमिका: "दूसरों के साथ वैसा न करें..."
चीन ने भारत को चेतावनी दी है कि वह ब्रह्मपुत्र नदी के पानी को लेकर भारत के खिलाफ कदम उठा सकता है। चीन के एक थिंक टैंक के वाइस प्रेसिडेंट विक्टर गाओ ने कहा है कि दूसरों के साथ वैसा न करें, जैसा आप अपने साथ नहीं चाहते।
सिंधु जल संधि पर भारत, पाकिस्तान और चीन के बीच बढ़ते तनाव से क्षेत्रीय स्थिरता पर खतरा मंडरा रहा है। भारत की रणनीति स्पष्ट है: जब तक पाकिस्तान आतंकवाद पर ठोस कदम नहीं उठाता, तब तक पानी की बातचीत संभव नहीं है। चीन की भूमिका इस विवाद को और जटिल बना रही है। इस जल संग्राम में सभी पक्षों को संयम और समझदारी से काम लेना होगा, ताकि क्षेत्रीय शांति बनी रहे।
