देश में तैयार हुआ मलेरिया का टीका - अब स्वदेशी टीका से मिलेगा एक दशक तक सुरक्षा

Jitendra Kumar Sinha
0

 



दशकों से लाखों लोगों की जान लेने वाली घातक बीमारी “मलेरिया” के खिलाफ भारत ने एक ऐतिहासिक विजय हासिल की है। भारतीय वैज्ञानिकों ने देश का पहला स्वदेशी मलेरिया टीका, “एडफाल्सीवैक्स (Adfalciwax)”, विकसित कर लिया है। यह न केवल एक बड़ी वैज्ञानिक उपलब्धि है, बल्कि यह देश को मलेरिया मुक्त बनाने की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम भी है। सबसे खास बात यह है कि यह टीका एक दशक से भी अधिक समय तक सुरक्षा प्रदान करने में सक्षम होगा, जिससे इस जानलेवा बीमारी के उन्मूलन की उम्मीदें प्रबल हो गई हैं।

भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) और भुवनेश्वर स्थित क्षेत्रीय चिकित्सा अनुसंधान केंद्र (आरएमआरसी) के अथक प्रयासों का परिणाम है यह टीका, मलेरिया फैलाने वाले सबसे घातक परजीवी प्लास्मोडियम फाल्सीपेरम पर पूरी तरह से कारगर है। आरएमआरसी के वैज्ञानिक डॉ. सुशील सिंह के अनुसार, एडफाल्सीवैक्स मानव शरीर में मलेरिया के संक्रमण को फैलने से रोकने की क्षमता रखता है। यह टीका पीएफएस 230 (PfS230) और पीएफएस48/45 (PfS48/45) नामक दो विशेष प्रोटीनों के मिश्रण से तैयार किया गया है। जब यह टीका लगाया जाता है, तो शरीर में शक्तिशाली एंटीबॉडी बनता हैं जो मलेरिया परजीवी के जीवन चक्र को तोड़ देती हैं, जिससे संक्रमण का प्रसार रुक जाता है।

इस टीके की एक और बड़ी खासियत इसकी असाधारण स्थिरता है। यह सामान्य कमरे के तापमान पर नौ महीने से अधिक समय तक प्रभावी रह सकता है। इसका सीधा मतलब है कि इसे दूर-दराज और दुर्गम इलाकों तक पहुंचाने के लिए महंगी कोल्ड चेन (रेफ्रिजरेशन) की आवश्यकता नहीं होगी, जो भारत जैसे विशाल और विविधतापूर्ण देश के लिए एक बहुत बड़ा लाभ है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की विश्व मलेरिया रिपोर्ट 2023 के अनुसार, दुनिया भर में मलेरिया के 26 करोड़ से अधिक मामले सामने आए और लगभग 6 लाख लोगों की मौत हुई। भारत में भी हर साल लगभग 20 लाख मामले दर्ज किए जाते हैं। वर्तमान में बाजार में उपलब्ध टीके, जैसे कि ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा विकसित आरटीएस,एस और आर21/मैट्रिक्स-एम, की कीमत लगभग 800 रुपये है और उनका असर भी 33 से 67 प्रतिशत के बीच ही सीमित है। इसकी तुलना में, भारतीय टीका न केवल अधिक प्रभावी होने का वादा करता है, बल्कि यह किफायती भी होगा, जिससे यह आम लोगों की पहुंच में आ सकेगा।

आईसीएमआर अब इस टीके के बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिए निजी दवा कंपनियों के साथ समझौता करने की तैयारी कर रहा है। “एडफाल्सीवैक्स” का सफल विकास 'आत्मनिर्भर भारत' की भावना का प्रतीक है और यह दर्शाता है कि भारतीय वैज्ञानिक वैश्विक स्वास्थ्य चुनौतियों का समाधान प्रदान करने में सक्षम हैं। यह स्वदेशी टीका निश्चित रूप से भारत की मलेरिया के खिलाफ लड़ाई को एक नई और निर्णायक दिशा देगा, जिससे लाखों जिंदगियां बचाई जा सकेगी और एक स्वस्थ भविष्य का मार्ग प्रशस्त होगा।



एक टिप्पणी भेजें

0टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें (0)

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn More
Ok, Go it!
To Top