वाराणसी है भारत की सांस्कृतिक राजधानी और काशी विश्वनाथ मंदिर है सनातन आस्था का केंद्र। अब इस पवित्र तीर्थस्थल पर बिहार सरकार ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर में ‘बिहार पर्यटक सूचना केंद्र’ की स्थापना। इसका उद्देश्य है श्रद्धालुओं को केवल काशी तक सीमित न रखते हुए, बिहार के भी अद्भुत धार्मिक, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्थलों से परिचय कराना।
इस केंद्र का उद्घाटन बिहार सरकार के मुख्य सचिव अमृत लाल मीणा ने किया। इस अवसर पर बिहार पर्यटन विभाग के कई प्रमुख अधिकारी उपस्थित रहे, जिनमें सहायक निदेशक केशरी कुमार, ट्रैवल एंड ट्रेड विंग के प्रबंधक सुमन कुमार, पर्यटक सूचना केंद्र की अधिकारी मनीषा तिवारी और निदेशालय के आकाश कुमार शामिल थे।
यह पहल न केवल पर्यटन को बढ़ावा देगा, बल्कि बिहार की सांस्कृतिक विरासत को एक व्यापक राष्ट्रीय और वैश्विक मंच भी देगा।
काशी विश्वनाथ मंदिर में आने वाले लाखों श्रद्धालु अब इस केंद्र के माध्यम से बिहार की धार्मिक धरोहरों से रूबरू हो सकेंगे। यह सूचना केंद्र बिहार पर्यटन का एक ‘वन-स्टॉप गेटवे’ बनकर उभरने वाला है। यहाँ गाइड सेवा रहेगा जो यात्रियों को बिहार के प्रमुख धार्मिक स्थलों की जानकारी देगा। होटल बुकिंग सुविधा के तहत तीर्थयात्रियों के लिए बिहार में ठहरने की अग्रिम व्यवस्था किया जाएगा। यात्रा योजना निर्माण के तहत श्रद्धालु अपनी काशी यात्रा के बाद बिहार की यात्रा कैसे करें, इसकी विस्तृत योजना मिलेगी। परिवहन सुविधा की जानकारी में ट्रेन, बस, टैक्सी आदि की सेवा के बारे में सहायता दी जाएगी।
पर्यटन केंद्र में बिहार के उन स्थलों की जानकारी दी जा रही है जिनका धार्मिक महत्व अद्वितीय है। जैसे बोधगया भगवान बुद्ध को ज्ञान प्राप्ति की भूमि। राजगीर और नालंदा प्राचीन भारत के ज्ञान के केंद्र। वैशाली जैन तीर्थंकर महावीर की जन्मभूमि। पावापुरी जहाँ भगवान महावीर को निर्वाण प्राप्त हुआ। सीतामढ़ी देवी सीता की जन्मस्थली। पटना साहिब सिखों के दसवें गुरु गोबिंद सिंह जी की जन्मभूमि।
काशी विश्वनाथ मंदिर में यह पर्यटन केंद्र उत्तर भारत के दो पवित्र स्थलों काशी और बिहार के धार्मिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक समन्वय का अद्भुत उदाहरण बन रहा है। यह श्रद्धालुओं को एक राज्य से दूसरे राज्य की आस्था-यात्रा की सहजता और व्यापकता का अनुभव कराएगा।
बिहार सरकार की यह पहल न केवल राज्य के पर्यटन विकास की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा, बल्कि इससे “काशी से पटना तक, आस्था का अटूट सेतु” भी स्थापित होगा।
