सशक्त होगी मत्स्य विपणन व्यवस्था - मछुआरों को मिलेगा आइस बॉक्स और थ्री व्हीलर वाहन

Jitendra Kumar Sinha
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राज्य सरकार ने मछुआरों की आजीविका को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। मछुआरों की आय में वृद्धि और मत्स्य व्यवसाय को तकनीकी सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से अब उन्हें निःशुल्क मत्स्य शिकारमाही एवं विपणन किट के साथ-साथ थ्री व्हीलर वाहन और आइस बॉक्स दिए जाएंगे।

इस योजना का लाभ राज्य भर के चयनित मछुआरों, मत्स्य विक्रेताओं तथा मत्स्य वेंडरों को मिलेगा। इसके तहत शत प्रतिशत अनुदान पर आधुनिक उपकरण दिए जाएंगे, जिससे मछली के शिकार, भंडारण और विपणन की प्रक्रिया अधिक सुविधाजनक और लाभकारी बन सकेगी।

शिकारमाही और विपणन किट (100% अनुदान पर)- राज्य सरकार द्वारा चयनित लाभुकों को पूरी तरह से मुफ्त मत्स्य शिकार और विपणन के लिए जरूरी किट उपलब्ध कराई जाएगी। इसमें मत्स्य पकड़ने के उपकरण, सुरक्षा किट और अन्य जरूरी सामग्रियां शामिल होगी।

थ्री व्हीलर वाहन व आइस बॉक्स (50% अनुदान पर)- खुदरा स्तर पर मछली बिक्री करने वाले मछुआरों को थ्री व्हीलर वाहन और उस पर लगा हुआ विशेष आइस बॉक्स मिलेगा। इससे मछलियों को लंबे समय तक ताजा बनाए रखने में मदद मिलेगी और ग्राहक तक उच्च गुणवत्ता की मछली पहुंचाई जा सकेगी। इस पर राज्य सरकार निर्धारित लागत का 50% अनुदान देगी।

सरकार की ओर से यह घोषणा भी की गई है कि इन योजनाओं के तहत चयनित लाभुकों को ज़िलों में विशेष कैंप लगाकर उपकरण दिए जाएंगे। इससे लाभुकों को कहीं भटकने की आवश्यकता नहीं होगी और वे सीधे अपने जिला में ही लाभ प्राप्त कर सकेंगे।

राज्य में हजारों परिवारों की आजीविका मछली पालन और बिक्री पर निर्भर है। लेकिन इस क्षेत्र में तकनीकी सहायता और आधुनिक संसाधनों की कमी के कारण मछुआरों को लंबे समय से दिक्कतों का सामना करना पड़ता रहा है। मछलियों को समय पर बाजार तक पहुंचाना, उन्हें ताजगी के साथ संरक्षित करना और सुरक्षित परिवहन करना अब तक एक चुनौती रहा है।

सरकार की यह योजना न केवल मछुआरों की मेहनत को आर्थिक लाभ में बदलने में सहायक होगी, बल्कि ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में रोजगार को भी बढ़ावा देगी।

यह योजना मत्स्य उद्योग को नयी दिशा देने के साथ-साथ 'आत्मनिर्भर भारत' की परिकल्पना को भी साकार करेगी। जब मछुआरों के पास बेहतर उपकरण और सुविधाएं होगी, तब वह अधिक आत्मविश्वास से अपना कार्य कर सकेंगे और राज्य की अर्थव्यवस्था में भी योगदान देंगे।



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