जिनेवा के ला ग्रांज पार्क में अनूठी पहल

Jitendra Kumar Sinha
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स्विट्जरलैंड का जिनेवा शहर यूं तो अपने सौंदर्य और शांति के लिए जाना जाता है, लेकिन इन दिनों यहां के ला ग्रांज पार्क की चर्चा एक विशेष कलाकृति को लेकर हो रही है। स्विस-फ्रेंच कलाकार सेपे (Saype) ने इस हरित मैदान को एक विशाल कैनवास में बदलते हुए एक भव्य ग्राउंड पेंटिंग बनाई है, जिसका नाम है – ‘ले टेरेन दें पॉसिबल्स’ (Le terrain des possibles) यानि संभावनाओं का मैदान।

यह कलाकृति केवल एक दृश्य आनंद नहीं है, बल्कि इसमें यूरो 2025 फुटबॉल टूर्नामेंट की भावना, समाजिक एकता, मानवता और प्रकृति के साथ हमारे संबंधों को बेहद खूबसूरती से पिरोया गया है।

यूरो 2025 एक ऐसा टूर्नामेंट है जिसका इंतजार न केवल फुटबॉल प्रेमियों को है, बल्कि कलाकार, सामाजिक कार्यकर्ता और सांस्कृतिक चिंतक भी इससे जुड़ रहे हैं। यह टूर्नामेंट अब केवल गोल और ट्रॉफियों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह एक ऐसा मंच बनता जा रहा है जहां खेल और कला एक-दूसरे की अभिव्यक्ति बन जाता हैं।

सेपे की यह कलाकृति इसी भावना का विस्तार है, जिसमें फुटबॉल को केवल एक प्रतिस्पर्धी खेल नहीं, बल्कि संभावनाओं के द्वार के रूप में दिखाया गया है। बच्चे, महिलाएं, बुज़ुर्ग, हर वर्ग के व्यक्ति को जोड़ती यह कला एक साझा भविष्य की ओर संकेत करती है।

सेपे को उनकी बायोडिग्रेडेबल ग्राउंड पेंटिंग्स के लिए दुनिया भर में जाना जाता है। वह केवल हरित रंगों का प्रयोग करता हैं, जो पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाता। इस बार की कलाकृति में भी उन्होंने जैविक रंगों से एक ऐसे मैदान की छवि रची है जो संभावनाओं, समरसता और उत्साह का प्रतीक है।

यह कलाकृति न सिर्फ पर्यावरण के प्रति सम्मान दर्शाता है, बल्कि यह बताता है कि खेल और प्रकृति का सामंजस्य कितना गहरा और सुंदर हो सकता है।

यूरोपीय फुटबॉल चैंपियनशिप यानि यूरो 2025 केवल एक टूर्नामेंट नहीं है, बल्कि यूरोप की विविधता, एकता और सांस्कृतिक समरसता का उत्सव है। जिनेवा में प्रस्तुत यह कला उस मानसिकता को दर्शाता है कि मैदान केवल खेल के लिए नहीं होता है, वह सपनों को आकार देने की जगह भी हो सकता है।



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