हिमाचल प्रदेश में एक ही रात में 17 जगह बादल फटे

Jitendra Kumar Sinha
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हिमाचल प्रदेश में एक बार फिर आसमानी कहर टूटा है। बीते सोमवार की रात राज्य में 17 स्थानों पर बादल फटने की घटनाएं दर्ज की गईं। इनमें अकेले मंडी जिले में 15 जगह बादल फटे, जबकि कुल्लू और किन्नौर में एक-एक स्थान पर यह आपदा आई। इस भयावह घटनाक्रम में अब तक 18 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 34 लोग लापता बताए जा रहे हैं। राहत की बात यह रही कि अब तक कुल 332 लोगों को सुरक्षित बचा लिया गया है।


राज्य आपदा प्रबंधन केंद्र (SEOC) के अनुसार, कुल 16 बादल फटने और 3 फ्लैश फ्लड की घटनाएं सोमवार रात को दर्ज हुईं। इन घटनाओं ने मंडी जिले के करसोग, गोहर, थुनाग, स्यांज और बाड़ा परवाड़ा इलाकों को सबसे ज्यादा प्रभावित किया। भारी बारिश और भूस्खलन के कारण दर्जनों घर जमींदोज हो गए हैं और कई गोशालाएं भी मलबे में समा गईं। मवेशियों की भी भारी हानि हुई है।


एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें पूरे घटनाक्रम पर नजर रखे हुए हैं और लगातार रेस्क्यू ऑपरेशन चला रही हैं। अब तक मंडी, चंबा, कुल्लू और हमीरपुर जिलों से कुल 332 लोगों को सुरक्षित निकाला गया है। हालांकि, अभी भी कई लोग मलबे में दबे हो सकते हैं, जिन्हें निकालने का प्रयास जारी है।


मंडी जिले में सबसे ज्यादा तबाही देखने को मिली है, जहां 24 घर पूरी तरह ध्वस्त हो गए हैं और 12 गोशालाएं मलबे में दब गईं। इसके अलावा 30 मवेशियों की मौत की पुष्टि हुई है। इस तबाही के चलते 406 सड़कें बंद हो गई हैं, 171 पेयजल योजनाएं ठप हो चुकी हैं और 1515 बिजली ट्रांसफॉर्मर काम नहीं कर रहे हैं।


प्राकृतिक आपदा से बिजली परियोजनाएं भी नहीं बच सकीं। पटीकरी पावर प्रोजेक्ट (16 मेगावाट) समेत कई हाइड्रो प्रोजेक्ट बर्बाद हो गए हैं। सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बताया कि अब तक 500 करोड़ रुपये से ज्यादा के नुकसान का आकलन किया गया है।


राज्य मौसम विभाग ने 2 जुलाई से 7 जुलाई तक भारी बारिश का ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। ऐसे में लोगों से अपील की गई है कि वे नदी-नालों से कम से कम 500 मीटर की दूरी बनाए रखें और पहाड़ी क्षेत्रों की यात्रा फिलहाल टाल दें। बच्चों के स्कूलों को भी अगले आदेश तक बंद रखा गया है।


स्थिति बेहद गंभीर बनी हुई है और सरकार ने लोगों से सतर्क रहने और किसी भी आपात स्थिति में तुरंत आपदा प्रबंधन हेल्पलाइन से संपर्क करने की अपील की है।

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