आज की दुनिया में तकनीक ने जहां जीवन को आसान बना दिया है, वहीं मृत्यु के बाद की अंतिम यात्रा के स्वरूप में भी क्रांतिकारी बदलाव लाया है। बहुत से लोग अब यह इच्छा रखते हैं कि उनके अवशेष (अस्थियां) अंतरिक्ष में भेजे जाएं। इसी कल्पना को साकार करने की कोशिश थी 'मिशन पॉसिबल', लेकिन दुर्भाग्यवश यह मिशन अंतरिक्ष की बजाय प्रशांत महासागर की गहराइयों में समा गया।
जर्मनी की एक निजी स्टार्टअप कंपनी टीईसी (TECC - The Exploration Company) ने इस मिशन की शुरुआत 23 जून को की थी। इस अनूठे मिशन के तहत 166 लोगों की अस्थियां एक विशेष कैप्सूल में भरकर अंतरिक्ष में भेजी गईं। इसका उद्देश्य था कि यह कैप्सूल पृथ्वी की कक्षा में चक्कर लगाए और मृतकों को ‘कॉस्मिक ट्रिब्यूट’ मिले यानि एक तरह का अंतरिक्षीय अंतिम संस्कार।
लॉन्चिंग के बाद कैप्सूल ने सफलतापूर्वक पृथ्वी की दो परिक्रमाएं कीं, लेकिन तीसरी कक्षा में प्रवेश से पहले ही तकनीकी खराबी के कारण यह कैप्सूल नियंत्रण से बाहर हो गया और अंततः प्रशांत महासागर में गिरकर नष्ट हो गया। कंपनी द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि "हम पूरी घटना की जांच कर रहे हैं और प्रभावित परिवारों से दिल से माफी मांगते हैं।"
टीईसी कंपनी की ओर से अभी तक स्पष्ट रूप से यह नहीं बताया गया है कि कैप्सूल असफल क्यों हुआ। विशेषज्ञों के अनुसार, यह संभवतः नवीन इंजन तकनीक या थर्मल शील्ड की विफलता का परिणाम हो सकता है, जिससे कैप्सूल दो कक्षा पार करने के बाद नियंत्रण से बाहर हो गया।
इस घटना ने एक गहरा प्रश्न खड़ा किया है कि क्या मृतकों की भावनाओं और परिजनों की उम्मीदों के साथ इस प्रकार का प्रयोग उचित है? सलेस्टिस नामक अमेरिकी कंपनी, जो अंतरिक्ष में अंतिम संस्कार की सेवा देती है, इस मिशन की भागीदार था। उसके सीईओ चार्ल्स एम. सेफर ने स्पष्ट किया है कि, "कैप्सूल और अस्थियां अब वापस लाना असंभव है।"
‘मिशन पॉसिबल’ एक शानदार कल्पना थी, जो विज्ञान, तकनीक और मानवीय भावना का अद्भुत संगम पेश करती थी। लेकिन इस असफलता ने यह याद दिलाया कि अंतरिक्ष यात्रा अब भी जोखिमों से भरी हुई है, चाहे वह जीवित मानव के लिए हो या किसी की अंतिम यात्रा के लिए।
