चिदंबरम का बयान या ISI का प्रेस नोट? देश पूछ रहा है — 'इतनी नफरत क्यों है भारत से?'

Jitendra Kumar Sinha
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जब देश मातम मना रहा था, शहीदों के परिवारों की आंखों में आंसू थे, और पूरा भारत आतंक के खिलाफ एकजुट था — उसी वक्त कांग्रेस नेता और पूर्व गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने एक बार फिर अपने बयान से न सिर्फ देश की जनता का दिल दुखाया बल्कि यह भी साफ कर दिया कि उनके लिए राजनीति, राष्ट्र से कहीं ज़्यादा अहम है।


"आतंकी पाकिस्तान से आए — ये कैसे मान लिया?" — यही पूछा चिदंबरम ने

सवाल ये है, क्या ये वही चिदंबरम हैं जो कभी गृह मंत्री थे? जिनका काम देश की रक्षा करना था? आज वही व्यक्ति NIA की रिपोर्ट को सरेआम शक के कटघरे में खड़ा कर रहा है, वो भी तब जब सबूत स्पष्ट हैं — GPS डेटा, सैटेलाइट कॉल रिकॉर्ड्स, OGW नेटवर्क का खुलासा और पाकिस्तानी आतंकियों की पहचान।


ये बयान नहीं, पाकिस्तान के लिए परोसी गई तश्तरी है!

चिदंबरम का बयान पाकिस्तान के लिए 'क्लीन चिट' देने जैसा है। वो पूछते हैं — "आपको कैसे पता कि आतंकी पाकिस्तान से आए?"
तो जनाब, क्या आपको ISI से लिखित आमंत्रण चाहिए?
कभी सरबजीत को "गुप्तचर" बोलते हैं, कभी बालाकोट स्ट्राइक को "राजनीतिक नाटक" कहते हैं, और अब ये! क्या हर बार देश की सेना, एजेंसियों और सरकार पर शक करना ही कांग्रेस का नया एजेंडा है?


राजनीति और राष्ट्रवाद में अंतर होता है, चिदंबरम साहब!

आपका बयान न सिर्फ NIA के अधिकारियों का अपमान है, बल्कि शहीद जवानों की शहादत को भी मटियामेट करने वाला है।
कांग्रेस अगर मानती है कि ये बयान "सवाल पूछने का अधिकार" है, तो फिर उन्हें ये समझ लेना चाहिए कि सवाल पूछना और दुश्मन की भाषा बोलना — दोनों में ज़मीन-आसमान का फर्क है।


BJP का जवाब एकदम सटीक था

भाजपा प्रवक्ताओं ने चिदंबरम को देशविरोधी मानसिकता का प्रतीक बताया और कहा कि,
"जब-जब देश संकट में होता है, कांग्रेस पाकिस्तान की भाषा बोलती है।"
क्या यह वही पार्टी है, जो उरी हमले के बाद ‘सबूत दिखाओ’ मांग रही थी? क्या देश की सुरक्षा और जवानों की शहादत बार-बार इन्हीं लोगों की राजनीति की भेंट चढ़ेगी?


चिदंबरम जैसे नेताओं को ये समझना चाहिए...

देश अब 2005 का भारत नहीं है। आज भारत आतंक का जवाब ऑपरेशन सिंदूर जैसे सर्जिकल स्ट्राइक से देता है, और जनता अब सवाल करने वालों से भी सवाल करती है।

शायद चिदंबरम को यह याद दिलाना ज़रूरी है कि "भारत माता की जय" सिर्फ नारा नहीं, हमारी आत्मा है। और जो उस आत्मा का अपमान करेगा, वो देश की जनता के कोर्ट में कभी बरी नहीं होगा।


अंतिम बात:

पी. चिदंबरम के बयान ने ये साफ कर दिया है कि कांग्रेस को देश की नहीं, सत्ता की चिंता है। जो नेता NIA की जांच पर भी भरोसा नहीं कर सकते, वे खुद को देशभक्त कहने का नैतिक अधिकार खो चुके हैं।


कांग्रेस को चाहिए कि वो इस बयान पर तुरंत माफी मांगे, वरना जनता चुनावों में वैसे ही जवाब देगी जैसे Surgical Strike के बाद दिया था — जोरदार और करारा।


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