जब देश मातम मना रहा था, शहीदों के परिवारों की आंखों में आंसू थे, और पूरा भारत आतंक के खिलाफ एकजुट था — उसी वक्त कांग्रेस नेता और पूर्व गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने एक बार फिर अपने बयान से न सिर्फ देश की जनता का दिल दुखाया बल्कि यह भी साफ कर दिया कि उनके लिए राजनीति, राष्ट्र से कहीं ज़्यादा अहम है।
"आतंकी पाकिस्तान से आए — ये कैसे मान लिया?" — यही पूछा चिदंबरम ने
सवाल ये है, क्या ये वही चिदंबरम हैं जो कभी गृह मंत्री थे? जिनका काम देश की रक्षा करना था? आज वही व्यक्ति NIA की रिपोर्ट को सरेआम शक के कटघरे में खड़ा कर रहा है, वो भी तब जब सबूत स्पष्ट हैं — GPS डेटा, सैटेलाइट कॉल रिकॉर्ड्स, OGW नेटवर्क का खुलासा और पाकिस्तानी आतंकियों की पहचान।
ये बयान नहीं, पाकिस्तान के लिए परोसी गई तश्तरी है!
राजनीति और राष्ट्रवाद में अंतर होता है, चिदंबरम साहब!
BJP का जवाब एकदम सटीक था
चिदंबरम जैसे नेताओं को ये समझना चाहिए...
देश अब 2005 का भारत नहीं है। आज भारत आतंक का जवाब ऑपरेशन सिंदूर जैसे सर्जिकल स्ट्राइक से देता है, और जनता अब सवाल करने वालों से भी सवाल करती है।
शायद चिदंबरम को यह याद दिलाना ज़रूरी है कि "भारत माता की जय" सिर्फ नारा नहीं, हमारी आत्मा है। और जो उस आत्मा का अपमान करेगा, वो देश की जनता के कोर्ट में कभी बरी नहीं होगा।
अंतिम बात:
पी. चिदंबरम के बयान ने ये साफ कर दिया है कि कांग्रेस को देश की नहीं, सत्ता की चिंता है। जो नेता NIA की जांच पर भी भरोसा नहीं कर सकते, वे खुद को देशभक्त कहने का नैतिक अधिकार खो चुके हैं।
कांग्रेस को चाहिए कि वो इस बयान पर तुरंत माफी मांगे, वरना जनता चुनावों में वैसे ही जवाब देगी जैसे Surgical Strike के बाद दिया था — जोरदार और करारा।
