अलीगढ़ में एक बार फिर से अवैध धर्मांतरण रैकेट की गूंज सुनाई दी है। हाल ही में आई रिपोर्ट के मुताबिक, अप्रैल से जून 2025 तक जिले से 97 महिलाएं और लड़कियां लापता हुई हैं, जिनमें से 17 किशोरियां भी शामिल हैं। यह आंकड़ा पुलिस और खुफिया एजेंसियों के लिए चिंता का विषय बन गया है। एजेंसियों को शक है कि इन गुमशुदगी के पीछे किसी सुनियोजित धर्मांतरण नेटवर्क का हाथ हो सकता है।
आगरा और बलरामपुर में पहले ही इस तरह के रैकेट सामने आ चुके हैं, जिनमें कई महिलाओं को बहला-फुसलाकर या नौकरी, शादी, पैसा और धर्म की आड़ में धर्मांतरण के जाल में फंसाया गया। अब अलीगढ़ में भी यही पैटर्न दोहराए जाने की आशंका जताई जा रही है। जांच एजेंसियों को पुराने मामलों में शामिल रहे कुछ नाम फिर से सामने आ रहे हैं—जैसे उमर गौतम, कलीम सिद्दीकी और अब्दुल्ला। इनमें से कुछ आरोपी पूर्व में गिरफ्तार किए जा चुके हैं और अब ये खुलासा हो रहा है कि इनका नेटवर्क अलीगढ़ तक फैला हुआ था।
2018 में पकड़े गए उमर गौतम के रैकेट की लिस्ट में भी अलीगढ़ की तीन महिलाओं का नाम सामने आया था। उमर गरीब तबकों, विशेषकर मुस्लिम बस्तियों और झुग्गियों में जाकर लोगों को धर्मांतरण के लिए उकसाता था। वहीं, अब्दुल्ला, जो अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से बीडीएस कर रहा था, गाजियाबाद के धर्मांतरण केस में पकड़ा गया था और उसका भी अलीगढ़ से जुड़ाव था।
पुलिस का कहना है कि अभी तक किसी मामले में सीधे धर्मांतरण की पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन खुफिया एजेंसियों के इनपुट को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। एसएसपी संजीव सुमन ने कहा कि ऐसी कोई आधिकारिक शिकायत या सबूत पुलिस के पास नहीं है, लेकिन सभी थानों को सतर्क कर दिया गया है और हर गुमशुदा महिला के केस को गंभीरता से देखा जा रहा है।
इस पूरे घटनाक्रम से साफ है कि अलीगढ़ में महिलाओं के गायब होने के मामले सिर्फ गुमशुदगी तक सीमित नहीं रह गए हैं। ये एक गहरी साजिश का हिस्सा हो सकते हैं, जिसमें महिलाओं को शिकार बनाकर जबरन या धोखे से धर्म परिवर्तन कराया जा रहा हो। यह न सिर्फ एक गंभीर सामाजिक और कानूनी समस्या है, बल्कि महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान पर सीधा हमला है। एजेंसियों की जांच से क्या निकलकर सामने आता है, यह तो वक्त बताएगा, लेकिन फिलहाल अलीगढ़ में माहौल चिंताजनक बना हुआ है।
