
राजस्थान के चुरु जिले में बुधवार को भारतीय वायुसेना का एक जगुआर प्रशिक्षक विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इस हादसे में विमान में सवार दोनों पायलटों की मौके पर ही मौत हो गई। वायुसेना ने इस दुखद घटना की पुष्टि करते हुए कहा कि यह एक नियमित प्रशिक्षण उड़ान थी। हादसे के कारणों की जांच के लिए कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी का आदेश दिया गया है।
घटना दोपहर करीब 1:25 बजे हुई जब ट्विन-सीटर जगुआर विमान ने अपनी उड़ान के दौरान तकनीकी कारणों से नियंत्रण खो दिया और चुरु जिले के बनौड़ा गांव के पास एक खेत में दुर्घटनाग्रस्त हो गया। जैसे ही विमान जमीन से टकराया, उसमें जोरदार धमाका हुआ और आग लग गई। मौके पर ग्रामीण पहुंचे लेकिन तब तक विमान पूरी तरह जल चुका था और दोनों पायलटों के शव क्षत-विक्षत हालत में मिले।
स्थानीय प्रशासन, पुलिस और वायुसेना की टीमें तुरंत घटनास्थल पर पहुंचीं और राहत-बचाव कार्य शुरू किया गया। क्षेत्र को घेर लिया गया और किसी भी आम नागरिक को पास आने से रोक दिया गया। रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि इस हादसे में किसी नागरिक को कोई नुकसान नहीं हुआ।
जगुआर विमान भारतीय वायुसेना के पुराने लड़ाकू विमानों में से एक है और इसे ग्राउंड अटैक व गहराई तक मारक क्षमता के लिए जाना जाता है। हालांकि, इसकी उम्र अब 40 साल से अधिक हो चुकी है और इसे 2031 तक चरणबद्ध रूप से सेवा से हटाने की योजना है। इससे पहले भी कई बार जगुआर विमान दुर्घटनाग्रस्त हो चुके हैं, जिससे इसके रखरखाव और तकनीकी स्थिति पर सवाल उठते रहे हैं।
इस साल मार्च और अप्रैल में भी जगुआर विमानों के क्रैश की घटनाएं हुई थीं। मार्च में हरियाणा में एक जगुआर विमान दुर्घटनाग्रस्त हुआ था, जिसमें पायलट ने सुरक्षित तरीके से ईजेक्ट कर लिया था। वहीं, अप्रैल में गुजरात में एक अन्य विमान दुर्घटनाग्रस्त हुआ था, जिसमें एक पायलट की मौत हो गई थी।
वायुसेना ने इस दुर्घटना को गंभीरता से लिया है और विस्तृत जांच के आदेश दे दिए गए हैं। हादसे के बाद सोशल मीडिया पर लोगों ने गहरी संवेदना प्रकट की और यह मांग की कि वायुसेना को नए और आधुनिक विमानों से लैस किया जाए ताकि इस प्रकार की घटनाओं को टाला जा सके। देश ने आज अपने दो जांबाज़ पायलटों को खो दिया है, जिनकी बहादुरी और सेवा को हमेशा याद रखा जाएगा।
