मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह विवाद मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हिंदू पक्ष को झटका दिया है। कोर्ट ने हिंदू पक्ष की उस याचिका को खारिज कर दिया है जिसमें शाही ईदगाह मस्जिद को 'विवादित ढांचा' घोषित करने की मांग की गई थी। न्यायमूर्ति रम मनोहर नारायण मिश्र की एकल पीठ ने यह आदेश सुनाया। कोर्ट ने कहा कि उपलब्ध तथ्यों के आधार पर मस्जिद को विवादित ढांचा घोषित नहीं किया जा सकता।
इस फैसले के बाद अब 2 अगस्त को मुख्य मामले की अगली सुनवाई होगी। हिंदू पक्ष का दावा है कि मुगल शासक औरंगजेब ने 1670 में श्रीकृष्ण जन्मभूमि पर स्थित मंदिर को तोड़कर वहां मस्जिद बनवाई थी। वहीं मुस्लिम पक्ष इन दावों को खारिज करता रहा है और कहता है कि मस्जिद को कानूनी तौर पर और वैध तरीके से बनाया गया था।
1968 में श्रीकृष्ण जन्मस्थान ट्रस्ट और शाही ईदगाह ट्रस्ट के बीच एक समझौता हुआ था जिसके तहत दोनों पक्षों ने अपने-अपने क्षेत्र चिन्हित किए थे। हालांकि अब हिंदू पक्ष उस समझौते को ‘मूर्खतापूर्ण’ करार देते हुए रद्द करने की मांग कर रहा है और कहता है कि उस समय जनभावनाओं को दबाया गया।
अब तक इस विवाद से जुड़ी 18 याचिकाएं कोर्ट में लंबित हैं, जिन्हें एक साथ सुना जा रहा है। हालांकि कोर्ट ने साफ कर दिया है कि सिर्फ इस आधार पर कि कोई दावा करता है कि ढांचा विवादित है, उसे तुरंत मान्यता नहीं दी जा सकती। कोर्ट की नजरों में यह जरूरी है कि पहले ऐतिहासिक, भौगोलिक और कानूनी साक्ष्यों को जांचा जाए।
हिंदू पक्ष के वकीलों ने फैसले पर निराशा जताई है, लेकिन साथ ही कहा है कि मुख्य मामले में उनके पास मजबूत आधार हैं और वे अपने दावों को प्रमाणित करने के लिए एएसआई की रिपोर्ट समेत अन्य साक्ष्य प्रस्तुत करेंगे। वहीं मुस्लिम पक्ष ने फैसले का स्वागत करते हुए कहा है कि अदालत ने न्यायपूर्ण फैसला दिया है।
अब सभी की निगाहें 2 अगस्त की सुनवाई पर टिकी हैं, जिसमें मुख्य मुकदमे को लेकर बहस होगी। कोर्ट का यह रुख साफ है कि वह किसी भी दावे को बिना ठोस साक्ष्य के स्वीकार नहीं करेगा।
