तमिलनाडु के सीएम एम. के. स्टालिन ने महाराष्ट्र में भाषा-आधिकारिक अधिकारों को लेकर चल रहे विवाद पर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि तमिलनाडु में शुरू हुआ यह “भाषा युद्ध” अब महाराष्ट्र तक पहुँच गया है, जहाँ मराठी भाषा के अधिकारों के पक्ष में तेज़ी से माहौल बन रहा है।
स्टालिन ने महाराष्ट्र के दो प्रमुख नेताओं—उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे—के एक मंच पर आने को स्वागतयोग्य बताया। उनका मानना है कि भाषाई विविधता और क्षेत्रीय भाषा-स्वाभिमान की लड़ाई अब तमिलनाडु से आगे बढ़कर पूरे देश में तेज़ी पकड़ रही है। उन्होंने विशेषकर उद्धव-राज ठाकरे की साझेदारी को महत्वपूर्ण क़दम माना, क्योंकि यह पुणे और मुंबई के मराठी-आधिकारिक आंदोलनों को और बल दे रही है।
वर्तमान में महाराष्ट्र के ठाणे जिले में मराठी भाषा का समर्थन करना इतना गंभीर मुद्दा बन गया है कि स्थानीय MNS कार्यकर्ताओं ने कथित तौर पर मराठी न बोलने वाले फूड स्टॉल मालिक की वीडियो वायरल करके आलोचना की है। स्टालिन का यह बयान स्पष्ट संकेत है कि भाषा-संवेदनशीलता अब केवल दक्षिण या पूर्व-भारत तक सीमित नहीं रही—यह एक राष्ट्रीय मुद्दा बन गया है।
ये घटनाएँ इस बात की द्योतक हैं कि भारत में भाषा और क्षेत्रीय पहचान को लेकर राजनीति लगातार तात्कालिक और सशक्त होती जा रही है, जहाँ भाषाई अधिकारों की लड़ाई अब राज्यों की सीमाओं को पार कर रही है।
