लालू यादव 13वीं बार निर्विरोध चुने गए राष्ट्रीय अध्यक्ष, राजद में फिर दिखा परिवारवाद का दबदबा

Jitendra Kumar Sinha
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राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के संस्थापक और दिग्गज नेता लालू प्रसाद यादव को एक बार फिर पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया है। यह उनका लगातार 13वां कार्यकाल होगा। 24 जून 2025 को पटना में पार्टी कार्यालय में नामांकन प्रक्रिया पूरी हुई, जहां लालू यादव ने अकेले नामांकन दाखिल किया। किसी अन्य उम्मीदवार ने नामांकन नहीं भरा, इसलिए उन्हें निर्विरोध राष्ट्रीय अध्यक्ष घोषित कर दिया गया। इस घोषणा के साथ ही यह तय हो गया कि पार्टी की कमान फिलहाल लालू के ही हाथों में रहेगी।


लालू यादव की उम्र भले ही 78 साल हो चुकी हो और उनकी तबीयत पहले जैसी न हो, लेकिन पार्टी के भीतर उनका प्रभाव आज भी बरकरार है। कार्यकर्ताओं और नेताओं में उनके प्रति गहरी आस्था बनी हुई है। राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में उनकी ताजपोशी 5 जुलाई को पटना के बापू सभागार में आयोजित पार्टी के राष्ट्रीय परिषद के अधिवेशन में औपचारिक रूप से की जाएगी।


राजनीतिक जानकारों का मानना है कि लालू यादव की सक्रिय भूमिका अब तेजस्वी यादव के मार्गदर्शन और रणनीति को मजबूती देने के लिए हो सकती है। परिवार और पार्टी के बीच संतुलन बनाए रखने के लिए लालू की मौजूदगी अहम है। तेजस्वी यादव, जो पार्टी के नेता प्रतिपक्ष हैं, अब ज्यादा फोकस में हैं और यह संकेत भी दिया गया है कि चुनावी तैयारियों में मुख्य भूमिका वे ही निभाएंगे।


विपक्षी दलों ने इस घटनाक्रम पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। भारतीय जनता पार्टी और जनता दल (यूनाइटेड) ने राजद पर परिवारवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि पार्टी में लोकतांत्रिक प्रक्रियाएं केवल दिखावा हैं और असल में पूरा तंत्र एक ही परिवार के इर्द-गिर्द घूमता है। उनका तर्क है कि राजद अब एक परिवार की निजी संपत्ति बन चुकी है, जहां दलित, पिछड़े और अल्पसंख्यकों के नाम पर केवल राजनीति होती है, भागीदारी नहीं।


इस बीच राजद ने बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारी भी शुरू कर दी है। पार्टी संगठन स्तर पर सर्वे करा रहा है ताकि संभावित उम्मीदवारों की पहचान की जा सके। बताया जा रहा है कि उम्मीदवारों की अंतिम सूची लालू यादव और तेजस्वी यादव मिलकर तय करेंगे।


राजद में नेतृत्व परिवर्तन की चर्चाएं लंबे समय से चल रही हैं, लेकिन फिलहाल लालू यादव का फिर से अध्यक्ष बनना यह साफ करता है कि पार्टी अभी भी उन्हें अपना सबसे प्रभावशाली चेहरा मानती है। अगले कुछ महीनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या तेजस्वी यादव को पार्टी औपचारिक रूप से अध्यक्ष की कमान सौंपती है या लालू यादव की छत्रछाया में ही अगला चुनाव लड़ा जाएगा।

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