प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान एक बड़ा और स्पष्ट संदेश दिया कि देशों को अपने संसाधनों को हथियार में तब्दील नहीं करना चाहिए। उन्होंने यह बात ऐसे समय में कही जब दुनिया में दो बड़ी शक्तियां—अमेरिका और चीन—खनिज और तकनीकी संसाधनों को राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रही हैं। मोदी ने कहा कि खनिज और तकनीकी आपूर्ति श्रृंखलाएं वैश्विक विकास और स्थिरता के लिए जरूरी हैं, और इनका दुरुपयोग वैश्विक व्यवस्था को कमजोर कर सकता है। उनका इशारा सीधा-सीधा चीन की तरफ था, जो अपने दुर्लभ खनिजों पर निर्यात नियंत्रण लगाकर वैश्विक व्यापार पर दबाव बना रहा है।
मोदी ने ब्रिक्स देशों से अपील की कि वे इन आपूर्ति श्रृंखलाओं को सुरक्षित, पारदर्शी और भरोसेमंद बनाने के लिए मिलकर काम करें। उनका कहना था कि जब किसी देश के पास किसी विशेष संसाधन पर एकाधिकार होता है, और वह उसे नियंत्रित करके वैश्विक स्तर पर वर्चस्व कायम करने की कोशिश करता है, तो यह विश्वसनीय साझेदारी के सिद्धांत के खिलाफ है।
प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि एआई यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे तकनीकी क्षेत्रों में भी जवाबदेही जरूरी है। उन्होंने ‘AI Impact Summit’ का जिक्र किया, जो भारत में आयोजित किया जाएगा, जहां डिजिटल प्रामाणिकता और कंटेंट वेरिफिकेशन पर वैश्विक मानकों पर चर्चा होगी।
यह बयान इस बात का संकेत है कि भारत अब न सिर्फ ब्रिक्स के भीतर एक मजबूत नेतृत्व भूमिका निभा रहा है, बल्कि वैश्विक संसाधन नीति और तकनीकी नैतिकता पर भी एक निर्णायक आवाज बनकर उभर रहा है। मोदी की बातों में केवल चीन ही नहीं, अमेरिका जैसे देशों के लिए भी स्पष्ट संदेश छिपा है कि अब संसाधनों के माध्यम से दबाव बनाना स्वीकार नहीं किया जाएगा। ब्रिक्स देशों को चाहिए कि वे मिलकर ऐसी रणनीति बनाएं जिसमें न तो कोई देश इन संसाधनों का गलत फायदा उठा सके और न ही वैश्विक आपूर्ति में बाधा आए।
इस प्रकार, प्रधानमंत्री मोदी ने एक बार फिर साबित किया कि भारत वैश्विक नेतृत्व की दिशा में आगे बढ़ रहा है, और वह केवल आर्थिक तरक्की की बात नहीं करता, बल्कि वैश्विक न्याय और नैतिक मूल्यों की भी वकालत करता है।
