डोनाल्ड ट्रंप ने साफ कर दिया है कि 1 अगस्त 2025 से अमेरिका द्वारा लगाए जाने वाले नए टैरिफ (सीमा शुल्क) किसी भी हाल में टाले नहीं जाएंगे। उन्होंने इस बारे में 14 देशों को नोटिस भेजा है जिसमें जापान, दक्षिण कोरिया और चीन जैसे प्रमुख देश शामिल हैं। इन पत्रों में 25% से 40% तक के "पारस्परिक टैरिफ" लागू करने की घोषणा की गई है। खासतौर पर तांबे (कॉपर) पर 50% तक का शुल्क लगाया जा रहा है, जिसे राष्ट्रीय सुरक्षा के आधार पर ‘सेक्शन 232’ के तहत लागू किया गया है।
अमेरिका के ट्रेज़री सचिव का कहना है कि इन शुल्कों से सरकार को साल के अंत तक 300 अरब डॉलर तक का राजस्व मिल सकता है। अब तक लगभग 100 अरब डॉलर पहले ही वसूल हो चुके हैं। इस घोषणा के बाद बाजारों में भारी हलचल देखी गई। तांबे की कीमतें 13% उछलकर रिकॉर्ड स्तर $5.6450 प्रति पाउंड तक पहुंच गईं, जो 1968 के बाद की सबसे तेज़ बढ़त है। हालांकि डाउ जोंस इंडस्ट्रियल औसतन 0.4% नीचे आया, जबकि S&P 500 और नैस्डैक पर इसका असर सीमित रहा।
चीन को भेजे गए पत्र में अंतिम तारीख 12 अगस्त बताई गई है, लेकिन अमेरिका ने स्पष्ट किया है कि यदि समझौता नहीं होता तो टैरिफ लागू हो जाएगा। जापान और दक्षिण कोरिया के साथ भी बातचीत जारी है, लेकिन वहां भी चेतावनी दी गई है कि यदि समाधान नहीं निकला तो शुल्क लगाए जाएंगे। दक्षिण अफ्रीका ने इस पर आपत्ति जताते हुए कहा है कि अमेरिकी शुल्क का आधार उनके व्यापार डेटा को सही तरीके से नहीं दर्शाता।
ट्रंप प्रशासन की योजना है कि 15 से 20 और देशों को इसी तरह के पत्र भेजे जाएं। यूरोपीय यूनियन को भी नोटिस दिए जाने की संभावना जताई गई है। कुल मिलाकर ट्रंप यह संकेत दे रहे हैं कि अमेरिका अब और रियायत नहीं देगा, और 1 अगस्त की तारीख को कोई “नई डेडलाइन” नहीं, बल्कि “अंतिम चेतावनी” के रूप में देखा जाए।
इस सख्त रुख को ट्रंप की चुनावी रणनीति से भी जोड़कर देखा जा रहा है, जहां वे घरेलू उद्योगों को संरक्षण देने और वैश्विक व्यापार घाटे को नियंत्रित करने की बात कर रहे हैं। हालांकि आलोचकों का मानना है कि इससे वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला पर असर पड़ सकता है और महंगाई में इजाफा हो सकता है। आने वाले दिनों में ये टैरिफ वैश्विक राजनीति और व्यापार जगत में बड़ा मोड़ ला सकते हैं।
