दिल्ली सरकार के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने सवाल उठाया है कि जिन 80,000 पुरानी वाहनों को ‘ओवरएज’ घोषित कर तोड़ा गया, वे आखिर कहां गए? उन्होंने आरोप लगाया कि ये कारें बिना किसी मान्यता प्राप्त स्क्रैपिंग सेंटर के, केवल नकदी के आधार पर कबाड़ियों को दी गईं। सिरसा ने कहा कि दिल्ली में आज तक कोई आधिकारिक स्क्रैपिंग सुविधा नहीं है, जिससे यह स्पष्ट नहीं कि इन वाहनों का उचित निपटान हुआ या नहीं। उन्होंने इस मामले की जांच कराने की घोषणा की है।
सिरसा ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) द्वारा ओवरएज वाहनों पर ईंधन प्रतिबंध को 1 नवंबर 2025 तक स्थगित करने का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार इसे सुप्रीम कोर्ट और NGT में चुनौती देगी, क्योंकि उनका मानना है कि केवल उम्र के आधार पर प्रतिबंध देना तार्किक नहीं है—प्रदूषण स्तर ही निर्णय का आधार होना चाहिए।
दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने भी इस कदम को उचित बताया और इसके पीछे नागरिकों की आकांक्षाओं को देखते हुए इस राहत का स्वागत किस। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार सुप्रीम कोर्ट में समान नियम-व्यवस्था की पैरवी करेगी और ऐसे वाहनों के मालिकों को असुविधा से बचाने के लिए कटिबद्ध है ।
सिरसा ने ANPR कैमरों में तकनीकी खामियों और कार्यान्वयन चुनौतियों का हवाला देते हुए इस ईंधन प्रतिबंध को "अप्रयुक्त और शायद उल्टा परिणाम देने वाला" बताया। उनका कहना है कि इसके लागू होते ही गैस पंपों के आसपास अवैध ईंधन वितरण का बाजार पैदा हो सकता है, खासकर तब जब एनसीआर के अन्य जिलों में यह प्रणाली लागू नहीं हुई है।
साथ ही, दिल्ली सरकार ने प्रदूषण घटाने के वैकल्पिक उपायों जैसे बड़े वृक्षारोपण, PUC प्रणाली को मजबूत करना और एंटी-स्मॉग गन जैसे विकल्पों को भी अपनी रणनीति में शामिल किया है ।
