अमेरिका ने ईरान से तेल व्यापार के चलते 6 भारतीय कंपनियों पर लगाया प्रतिबंध

Jitendra Kumar Sinha
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संयुक्त राज्य अमेरिका ने ईरान से कच्चे तेल और पेट्रोकेमिकल उत्पादों के व्यापार को लेकर छह भारतीय कंपनियों पर प्रतिबंध लगा दिए हैं। यह कार्रवाई अमेरिका की “मैक्सिमम प्रेशर” नीति के तहत की गई है, जिसका उद्देश्य ईरान की तेल बिक्री से होने वाली आमदनी को रोकना है, जिसे अमेरिका आतंकवादी गतिविधियों को फंड देने के तौर पर देखता है।


इन प्रतिबंधों की ज़द में जिन भारतीय कंपनियों को लाया गया है, उनमें शामिल हैं: कंचन पॉलिमर्स, अलकेमिकल सॉल्यूशंस, रमणीकलाल एस गोसालिया, जुपिटर डाई केम, ग्लोबल इंडस्ट्रियल केमिकल्स, और परसिस्टेंट पेट्रोकेम। अमेरिकी विदेश विभाग के अनुसार, इन कंपनियों ने 2023 और 2024 में ईरान से अरबों रुपये के पेट्रोकेमिकल उत्पादों का व्यापार किया। अकेले अलकेमिकल सॉल्यूशंस ने लगभग 84 मिलियन डॉलर का लेन-देन किया, जबकि बाकी कंपनियों के सौदे 1.3 मिलियन से लेकर 51 मिलियन डॉलर तक के थे।


इन प्रतिबंधों के तहत अब इन कंपनियों की अमेरिका में मौजूद संपत्तियाँ और हित फ्रीज़ कर दिए गए हैं। साथ ही, अमेरिका के नागरिकों और कंपनियों को इन फर्मों के साथ किसी भी तरह का व्यापार करने की अनुमति नहीं होगी। अमेरिका का तर्क है कि इन फर्मों ने ईरानी सरकार से ऐसे उत्पाद खरीदे, जिनसे ईरान को विदेशी मुद्रा हासिल होती है और जिसका इस्तेमाल वह अपने परमाणु कार्यक्रम और आतंकवादी गतिविधियों में करता है।


इस कदम से ठीक पहले अमेरिका ने भारत और कुछ अन्य देशों से आने वाले स्टील और एल्यूमिनियम उत्पादों पर 25 प्रतिशत तक का आयात शुल्क (टैरिफ) भी लगा दिया था। यह टैरिफ बढ़ोत्तरी अमेरिका की घरेलू उत्पादन नीति को बढ़ावा देने के नाम पर की गई है, लेकिन इसके पीछे ईरान और रूस के साथ व्यापार करने वाले देशों पर दबाव बनाने की मंशा भी साफ झलकती है।


भारत में इस कार्रवाई को लेकर चिंता जताई जा रही है। यह फैसला ऐसे समय में आया है जब भारत और अमेरिका के बीच व्यापार और रणनीतिक रिश्तों को और मजबूत बनाने की कोशिशें चल रही थीं। अब ये प्रतिबंध भारत की कुछ केमिकल और ऑयल ट्रेड कंपनियों के लिए बड़ा झटका बन सकते हैं। साथ ही, यह सवाल भी उठ रहा है कि क्या अमेरिका की यह रणनीति वास्तव में ईरान पर असर डालेगी, या फिर इससे तीसरे देशों के साथ उसके रिश्ते ही खराब होंगे।


फिलहाल भारत सरकार ने इस पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन यह स्पष्ट है कि इस तरह की पाबंदियाँ भारत के व्यापारिक हितों को प्रभावित करेंगी। यह देखना बाकी है कि भारत इस पर कूटनीतिक या व्यापारिक प्रतिक्रिया देता है या नहीं, लेकिन अमेरिका का यह कदम वैश्विक भू-राजनीति में एक नया तनाव जरूर पैदा कर गया है।

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