अमेरिकी पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत से आयात होने वाले कुछ उत्पादों पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने की घोषणा के बाद भारतीय शेयर बाजार में जबरदस्त गिरावट दर्ज की गई। जैसे ही बाजार खुला, निवेशकों में घबराहट देखी गई और उन्होंने बड़े पैमाने पर बिकवाली शुरू कर दी। सेंसेक्स शुरुआती कारोबार में ही 650 अंकों तक टूट गया और निफ्टी 24,700 के नीचे फिसल गया। बाजार खुलने के कुछ ही मिनटों में निवेशकों के करीब 5 लाख करोड़ रुपये डूब गए। यह गिरावट न केवल ट्रेडिंग सेंटिमेंट पर असर डालती है, बल्कि व्यापार और अर्थव्यवस्था को लेकर निवेशकों के विश्वास को भी कमजोर करती है।
इस गिरावट के पीछे मुख्य वजह ट्रंप का वह बयान है जिसमें उन्होंने कहा कि भारत जैसे देशों को अमेरिका का अनुचित फायदा उठाने नहीं दिया जाएगा। उन्होंने साफ कहा कि भारत, रूस और ईरान से कच्चा तेल खरीदता है और इसके बावजूद अमेरिकी बाजार में अपने उत्पाद भेजता है, जो अमेरिका के लिए नुकसानदेह है। इसी के चलते उन्होंने 1 अगस्त 2025 से प्रभावी 25 प्रतिशत का आयात शुल्क लागू करने की घोषणा की है। इस फैसले ने वैश्विक निवेशकों को सकते में डाल दिया है।
बाजार में आई इस गिरावट का असर लगभग हर सेक्टर पर पड़ा। बैंकिंग, मेटल, ऑटो, फार्मा और आईटी शेयरों में भारी बिकवाली देखने को मिली। विदेशी निवेशकों ने भी अपनी पोजिशन कम की, जिससे बाजार में और अधिक दबाव बना। घरेलू निवेशक, खासकर रिटेल इनवेस्टर्स, इस गिरावट से बुरी तरह प्रभावित हुए। निफ्टी और सेंसेक्स दोनों ही अपने रिकॉर्ड ऊंचाई से काफी नीचे फिसल गए।
विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप के इस कदम से भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों में तनाव बढ़ सकता है। यह सिर्फ बाजार की गिरावट तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि आने वाले दिनों में निर्यात-आयात, विदेशी निवेश और कूटनीतिक समीकरणों पर भी इसका असर पड़ सकता है। कुछ विश्लेषकों ने यह भी चेताया है कि अगर भारत ने जल्द ही अमेरिकी प्रशासन के साथ कोई समाधान नहीं निकाला, तो यह टैरिफ बढ़कर और भी उत्पादों पर लागू हो सकता है।
हालांकि कुछ विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि यह गिरावट अस्थायी हो सकती है और बाजार धीरे-धीरे स्थिरता की ओर लौटेगा, लेकिन फिलहाल सतर्कता जरूरी है। निवेशकों को सलाह दी जा रही है कि वे जल्दबाज़ी में कोई निर्णय न लें और बाजार की दिशा को समझते हुए ही कदम उठाएं। आने वाले हफ्तों में अमेरिकी प्रशासन के साथ भारत की बातचीत और रणनीति पर बाजार की नजर बनी रहेगी। यह साफ है कि ट्रंप की एक घोषणा ने न केवल वित्तीय बाजारों में हलचल मचा दी है, बल्कि वैश्विक आर्थिक समीकरणों को भी झकझोर दिया है।
