सोलह मुखी रुद्राक्ष

Jitendra Kumar Sinha
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आभा सिन्हा, पटना

भारतीय सनातन परंपरा में रुद्राक्ष की महत्ता अक्षुण्ण रही है। प्रत्येक रुद्राक्ष की भिन्न-भिन्न संख्याओं में विद्यमान ऊर्जा, प्रतीकात्मकता और सिद्धियाँ जीवन को दिशा देने में सक्षम होता है। इन्हीं में से एक है सोलह मुखी रुद्राक्ष, जिसे काल भैरव का प्रतीक माना गया है। यह रुद्राक्ष न केवल अध्यात्मिक उत्थान का साधन है, बल्कि सांसारिक संकटों से मुक्ति दिलाने वाला भी माना जाता है।

सोलह मुखी रुद्राक्ष की उत्पत्ति के विषय में पौराणिक मान्यता है कि जब भगवान शिव ने ब्रह्मांड की रक्षा के लिए काल रूप धारण कर काल भैरव स्वरूप लिया, तब उनके नेत्रों से आंसुओं की कुछ बूंदें पृथ्वी पर गिरी और वह रुद्राक्ष के वृक्ष में परिणत हो गया। इन्हीं में से एक फल से सोलह मुखी रुद्राक्ष उत्पन्न हुआ, जो स्वयं काल भैरव का प्रतीक बन गया।

सोलह मुखी रुद्राक्ष में 16 स्पष्ट धाराएं (मुख) होता हैं। सामान्यतः गोल या अंडाकार आकार में मिलता है, रंग भूरा या गहरा लाल होता है।  प्रत्येक मुख पृथक रूप से विद्यमान होता है और इनमें एक समान गहराई की रेखाएं होती हैं।

प्राकृतिक रुद्राक्ष की पहचान है जल में डालने पर डूबता है। आग में डालने पर कोई महक नहीं आता है।  नकली रुद्राक्ष में मुखों की रेखाएं असमान होता है।

शास्त्रों में सोलह मुखी रुद्राक्ष का महत्व :- 

“षोडशमुखं रुद्राक्षं कालभैरवसन्निभम्।
सर्वपापविनाशाय, मृत्युभयविनाशनम्॥”

यह श्लोक बताता है कि सोलह मुखी रुद्राक्ष मृत्यु के भय को हरने वाला, पापों का विनाश करने वाला और काल के प्रभाव को नियंत्रित करने वाला होता है। इसे धारण करने वाला व्यक्ति कभी अकाल मृत्यु का शिकार नहीं होता है।

सोलह मुखी रुद्राक्ष काल भैरव को समय और मृत्यु का स्वामी माना गया है। वह रूद्र के अत्यंत उग्र रूप हैं। सोलह मुखी रुद्राक्ष उनके दिव्य गुणों को समाहित करता है, शत्रु भय से रक्षा, कानूनी विवादों में विजय, रोग-व्याधियों से मुक्ति, कुंडलिनी जागरण की सहायता, तंत्र बाधा और ग्रह दोषों का नाश।

सोलह मुखी रुद्राक्ष मानसिक और भावनात्मक शांति देता है। जो व्यक्ति सदैव भय, चिंता, तनाव या भ्रम से घिरा रहता है, उनके लिए यह रुद्राक्ष अत्यंत लाभकारी होता है। यह मन को स्थिर और भावनाओं को संतुलित करता है।

सोलह मुखी रुद्राक्ष शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार करता है। सोलह मुखी रुद्राक्ष के नियमित धारण करने से हृदय, लिवर, आंत और स्नायु संबंधी रोगों में राहत मिलता है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से यह न्यूरोलॉजिकल संतुलन को बहाल करता है।

सोलह मुखी रुद्राक्ष व्यापार एवं नौकरी में सफलता दिलाता है। जो लोग व्यावसायिक जोखिम में हैं या बार-बार विफल हो रहे हैं, उनके लिए यह रुद्राक्ष सम्पत्ति वृद्धि और साहसिक निर्णयों के लिए सहायक होता है।

सोलह मुखी रुद्राक्ष शत्रुओं से सुरक्षा करता है। यह रुद्राक्ष को “शत्रुहंता” कहा गया है। तांत्रिक बाधाएं, काला जादू, बुरी नजर आदि से रक्षा करता है।

सोलह मुखी रुद्राक्ष कानूनी मामलों में विजय दिलाता है। यह वकील, जज, पुलिसकर्मी, पत्रकारों और राजनीति से जुड़े लोगों को धैर्य, स्पष्टता और प्रभावशाली भाषण प्रदान करता है, जिससे वह कानून के मामलों में विजयी होते हैं।

सोलह मुखी रुद्राक्ष उन जातकों के लिए विशेष फलदायी है जिनकी कुण्डली में शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या हो, कालसर्प दोष हो, मंगल या राहु की दशा हो, मृत्यु योग या अकाल मृत्यु का योग हो, इन सभी दोष से रक्षा करता है। इस रुद्राक्ष के प्रभाव से ग्रहों की शांति होती है और जीवन में स्थायित्व आता है।

 सोलह मुखी रुद्राक्ष सोमवार, शनिवार या किसी अमावस्या / पूर्णिमा तिथि पर धारण करना चाहिए।
ब्रह्ममुहूर्त (सुबह 4–6 बजे) श्रेष्ठ समय होता है।
स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण कर, भगवान शिव या काल भैरव की प्रतिमा के सामने बैठ कर, रुद्राक्ष को गाय के दूध, गंगाजल से शुद्ध कर, धूप-दीप से पूजन कर, मंत्र का 108 बार जाप करना चाहिए। मंत्र है :-

"ॐ ह्रीं हुं नमः"
"ॐ कालभैरवाय नमः"

रुद्राक्ष को चांदी, सोने या पंचधातु की माला में गूंथकर गले में धारण करनाश्रेयस्करहोता हैं।

रुद्राक्ष को शौच या नींद के समय उतार देना चाहिए। मांस, मदिरा, व्यभिचार से दूर रहना चाहिए। किसी को रुद्राक्ष उधार नहीं देना चाहिए। रुद्राक्ष को नियमित गंगाजल या गौमूत्र से शुद्ध करते रहना चाहिए।

दिल्ली के एक वरिष्ठ वकील ने बताया कि उन्होंने एक ऐसे मुकदमे में विजय प्राप्त किया है, जिसकी संभावना 10% भी नहीं थी। उन्होंने सोलह मुखी रुद्राक्ष को काल भैरव मंत्रों के साथ धारण किया था। उनकी मानसिक स्पष्टता और वाणी की शक्ति से न्यायालय में सभी प्रभावित हुए।

उज्जैन के एक परिवार पर लगातार आर्थिक नुकसान और मानसिक अवसाद छाया हुआ था। ज्योतिषीय परामर्श से जब परिवार के मुखिया ने सोलह मुखी रुद्राक्ष धारण किया, तब मात्र एक माह में बदलाव दिखने लगा,  व्यापार में वृद्धि, घर में शांति और नींद में सुधार हुआ।

वैज्ञानिक शोध बताता हैं कि रुद्राक्ष बीजों में इलेक्ट्रोमैग्नेटिक प्रॉपर्टीज होता हैं, जो मानव शरीर के नर्वस सिस्टम को संतुलित करता हैं। विशेष रूप से सोलह मुखी रुद्राक्ष alpha waves को उत्तेजित करता है, जिससे मानसिक शांति और एकाग्रता बढ़ता है।

सोलह मुखी रुद्राक्ष जिनकी प्रवृत्ति अत्यधिक भोगप्रधान हो। जो मांस-मदिरा छोड़ना नहीं चाहते। तामसी जीवनशैली वाले लोग कोधारणनहींकरना चाहिए।

ध्यान रखना चाहिए कि, रुद्राक्ष केवल गहना नहीं है, यह एक ऊर्जा केंद्र है। इसे साधना और मर्यादा के साथ धारण करना आवश्यक होता है। 

सोलह मुखी रुद्राक्ष के संदर्भ में प्रसिद्ध ग्रंथ है रुद्राक्षजाबालोपनिषद्, शिवपुराण, देवीभागवत पुराण और पद्मपुराण।

इन ग्रंथों में सोलह मुखी रुद्राक्ष को मृत्युनाशक, अमोघ फलदायी और दुर्भाग्य विनाशक बताया गया है।

सोलह मुखी रुद्राक्ष कोई साधारण बीज नहीं है,  यह एक ईश्वरीय प्रसाद है। यह व्यक्ति को भीतर से इतना मजबूत करता है कि वह मृत्यु के भय से भी पार पा सके। काल भैरव की कृपा स्वरूप यह रुद्राक्ष यह स्मरण कराता है कि जीवन में भय नहीं, विश्वास चाहिए, आत्मबल चाहिए  और साधना चाहिए।

यदि जीवन में किसी प्रकार के संकट, भय, बाधा या मानसिक कमजोरी से जूझ रहे हैं, तो सोलह मुखी रुद्राक्ष  वरदान स्वरूप हो सकता है।




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