स्पेन से भारत को मिला अंतिम एयरबस C-295 सैन्य परिवहन विमान

Jitendra Kumar Sinha
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भारत की वायुसेना की ताकत में एक और महत्वपूर्ण कड़ी जुड़ गई है। स्पेन से भारत को एयरबस C-295 सैन्य परिवहन विमानों की खेप में अंतिम और 16वां विमान प्राप्त हो गया है। यह क्षण भारत की रक्षा क्षमताओं को आधुनिकता की दिशा में ले जाने वाला एक ऐतिहासिक पड़ाव है। स्पेन स्थित भारतीय दूतावास ने शनिवार को इस बात की पुष्टि करते हुए कहा है कि यह डिलीवरी भारत और स्पेन के बीच बढ़ते रक्षा सहयोग का प्रतीक है।

एयरबस C-295 एक आधुनिक मध्यम श्रेणी का सैन्य परिवहन विमान है, जिसकी लोडिंग क्षमता 5 से 10 टन तक होती है। इसे खासतौर पर कठिन भौगोलिक परिस्थितियों में संचालन के लिए डिजाइन किया गया है। यह विमान कम ऊंचाई पर उड़ान भरने, छोटे रनवे पर लैंडिंग और टेक-ऑफ करने में सक्षम है, जिससे यह सीमा पर मौजूद अग्रिम ठिकानों तक जरूरी सामान और सैनिकों को पहुंचाने में बेहद कारगर साबित होता है।

भारतीय वायुसेना में दशकों से सेवा दे रहे एवरो विमानों की जगह अब यह नया C-295 विमान लेगा। एवरो विमान जहां पुरानी तकनीक से लैस था, वहीं C-295 अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त है। इसमें डिजिटल एवियोनिक्स, ऑटो-पायलट सिस्टम, बेहतर रेडार और संचार उपकरण लगे हैं, जो इसे 21वीं सदी की जरूरतों के मुताबिक बनाता है।

इस सौदे के तहत शुरुआती 16 विमानों की आपूर्ति स्पेन से होनी थी, जो अब पूरी हो चुकी है। लेकिन इसका सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है भारत में ही 40 C-295 विमानों का निर्माण, जिसे टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड (TASL) और एयरबस मिलकर गुजरात के वडोदरा में कर रहा है। यह भारतीय रक्षा क्षेत्र में निजी भागीदारी और ‘मेक इन इंडिया’ पहल को एक नई ऊंचाई देता है।

यह विमान ऊँचाई वाले क्षेत्रों, रेगिस्तान, और समुद्र तटीय इलाकों में समान रूप से कार्य कर सकता है। अचानक आपातकालीन हालात में राहत सामग्री और सैनिकों को तेजी से स्थानांतरित किया जा सकता है। कम लागत और अधिक दक्षता के कारण यह लंबे समय तक संचालन योग्य है।

भारत द्वारा एयरबस C-295 की अंतिम डिलीवरी प्राप्त करना केवल एक रक्षा सौदा नहीं है, बल्कि यह एक नए युग की शुरुआत है, जिसमें भारत अपनी सेनाओं को विश्वस्तरीय तकनीक से लैस कर रहा है। आने वाले वर्षों में, जब यह विमान भारत में ही निर्मित होकर सेवा में आएंगे, तो यह आत्मनिर्भरता और वैश्विक रक्षा साझेदारी दोनों का सशक्त उदाहरण होगा। भारत अब न केवल हथियार खरीद रहा है, बल्कि उन्हें बनाने की दिशा में आत्मनिर्भर भी बनता जा रहा है। 



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