भारत की पुण्यभूमि में असंख्य ऐसे तीर्थस्थल हैं, जिनका वर्णन शास्त्रों में देवताओं के चमत्कारों और भक्तों की आस्था के रूप में होता है। इन्हीं दिव्य स्थलों में एक है “ब्रह्मपुर”, जो बिहार के बक्सर जिला में स्थित है। यह स्थान न केवल पौराणिक मान्यताओं का केन्द्र है, बल्कि यहां स्थित “ब्रह्मेश्वर नाथ महादेव मंदिर” अपने अनोखे चमत्कारी इतिहास, पश्चिममुखी प्रवेश द्वार और मोक्षदायक शिवलिंग के लिए विख्यात है।
ब्रह्मपुर नाम का संबंध सीधे ब्रह्मा जी से जुड़ा है। मान्यता है कि इस भूमि पर स्वयं ब्रह्मा जी ने भगवान शिव की तपस्या कर शिवलिंग की स्थापना की थी। इसीलिए इस स्थान का नाम ब्रह्मपुर पड़ा और यहां के शिवलिंग को ब्रह्मेश्वर नाथ कहा जाने लगा।
यह पवित्र तीर्थ बक्सर जिला मुख्यालय से लगभग 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और यह स्थान राष्ट्रीय राजमार्ग-84 के पास होने के कारण दूर-दूर से श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं।
भारत में अधिकतर शिव मंदिरों के मुख्य द्वार पूर्वमुखी होता है, यानि पूरब दिशा की ओर होता है। लेकिन ब्रह्मपुर का यह मंदिर अपवाद है, क्योंकि इसका मुख्य द्वार पश्चिम की ओर खुलता है। यही इसकी सबसे अद्वितीय विशेषता है।
यह केवल एक वास्तु परिवर्तन नहीं, बल्कि एक चमत्कारिक घटना का परिणाम है, जिसकी चर्चा भक्त वर्षों से करते आ रहे हैं।
इतिहासकारों और लोककथाओं के अनुसार, मुस्लिम आक्रांता मोहम्मद गजनी ने भारत पर आक्रमण के दौरान इस मंदिर को भी निशाना बनाना चाहा था। जब वह ब्रह्मपुर पहुंचा, तो स्थानीय लोगों ने उससे मंदिर को न तोड़ने की विनती की।
गजनी ने उपहास करते हुए कहा- "अगर तुम्हारे भगवान में शक्ति है, तो इस मंदिर का द्वार जो पूरब की ओर है, वह एक रात में पश्चिममुखी हो जाए। अगर ऐसा हो गया, तो मैं मंदिर को नहीं तोड़ूंगा।"
अगले दिन सुबह, जब गजनी पुनः मंदिर पहुंचा तो वह आश्चर्यचकित रह गया। मंदिर का मुख्य प्रवेश द्वार अब पूरब की जगह पश्चिम की ओर था। यह देख वह भयभीत हो गया और उसने अपना वादा निभाते हुए मंदिर को छोड़ दिया और कभी लौट कर नहीं आया।
शिव महापुराण की रुद्र संहिता में उल्लेख है कि ब्रह्मेश्वर नाथ मंदिर वह स्थान है, जो धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष चारों पुरुषार्थ प्रदान करता है। यहां आकर श्रद्धालु केवल पूजा नहीं करते हैं, बल्कि जीवन के चारों उद्देश्यों की पूर्ति की कामना करते हैं।
यह मंदिर भक्तों द्वारा "मनोकामना महादेव" के नाम से भी जाना जाता है। ऐसी मान्यता है कि जो भी यहां सच्चे मन से शिव की आराधना करता है, उसकी मनोकामना जरूर पूरा होता है।
ब्रह्मेश्वर नाथ मंदिर का परिसर बहुत ही शांत, आध्यात्मिक और दर्शनीय है। मंदिर का गर्भगृह पत्थर से बना हुआ है और शिवलिंग का आकार स्वयंभू माना जाता है। मंदिर के आसपास नंदी की मूर्ति, माता पार्वती, भगवान गणेश, हनुमान जी, और काली माता के भी छोटे मंदिर हैं।
मंदिर परिसर में यज्ञशाला, धर्मशाला, और जलाशय जैसी सुविधाएं भी विकसित की गई हैं। यहां बड़ा यज्ञकुंड है जहां सावन, महाशिवरात्रि और विशेष अवसरों पर रुद्राभिषेक और महायज्ञ होता है।
सावन का महीना शिव भक्तों के लिए विशेष होता है और ब्रह्मेश्वर नाथ धाम पर इसका विशेष प्रभाव देखने को मिलता है। पूरे सावन मास में लाखों की संख्या में कांवड़िये, स्थानीय श्रद्धालु और दूर-दराज से आए तीर्थयात्री यहां भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं।
हर सोमवार को विशेष पूजा होती है और मंदिर में शिव महिम्न स्तोत्र, रुद्राष्टक, महामृत्युंजय जाप जैसे मंत्रों का लगातार उच्चारण होता रहता है।
महा शिवरात्रि के दिन इस मंदिर में दिव्यता का एक अद्भुत दृश्य होता है। पूरे दिन-रात श्रद्धालु शिवलिंग पर जल, दूध, दही, बेलपत्र, भांग और फूल चढ़ाते हैं। मंदिर का परिसर भक्ति संगीत, मंत्रोच्चार और भजन-कीर्तन से गूंज उठता है। इस दिन विशेष भंडारा, भजन संध्या, धार्मिक नाटक, और रात्रि जागरण का आयोजन किया जाता है।
हाल के वर्षों में सरकार और स्थानीय प्रशासन के सहयोग से इस धाम को एक धार्मिक पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित किया जा रहा है। मंदिर तक पहुंचने के लिए पक्की सड़क, परिवहन सुविधा, रुकने के लिए धर्मशाला, और स्वच्छता की विशेष व्यवस्था की गई है। बिहार पर्यटन विभाग भी इस धाम को प्रमुख धार्मिक स्थलों में शामिल करने की दिशा में सक्रिय है।
इतिहासकार मानते हैं कि ब्रह्मपुर क्षेत्र में वेदकालीन संस्कृति के अवशेष हो सकता है। इस मंदिर के आसपास पुराने शिलालेख, मूर्तियां, और अन्य मंदिरों के भग्नावशेष भी देखे जा सकते हैं, जो इसके प्राचीन और चमत्कारी इतिहास को प्रमाणित करता है। यह स्थान पुरातत्वविदों के लिए भी शोध का एक अद्भुत केंद्र बन सकता है।
ब्रह्मपुर धाम केवल मंदिर नहीं है, बल्कि स्थानीय लोगों की संस्कृति, विश्वास और परंपरा का केन्द्र भी है। विवाह, मुंडन, नामकरण संस्कार, रोग निवारण, और अन्य शुभ कार्यों के लिए लोग यहां बाबा ब्रह्मेश्वर नाथ के दर्शन कर आशीर्वाद लेते हैं।
ब्रह्मपुर का ब्रह्मेश्वर नाथ मंदिर न केवल एक धार्मिक स्थान है, बल्कि यह आस्था, चमत्कार, इतिहास और संस्कृति का जीवंत उदाहरण है। यहाँ भगवान शिव ने स्वयं अपने भक्तों की रक्षा के लिए मंदिर की दिशा बदल दी, यह कथा न केवल प्रेरक है, बल्कि यह दर्शाती है कि श्रद्धा और भक्ति में कितनी शक्ति होती है। यह मंदिर आज भी प्रत्यक्ष प्रमाण है कि जब भक्त सच्चे मन से पुकारता है, तो भगवान स्वयं उसकी रक्षा के लिए उतर आते हैं।
