अमरीका से निर्वासन - भारतीयों की बढ़ती मुश्किल - हर दिन 8 भारतीय हो रहे हैं निर्वासन

Jitendra Kumar Sinha
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2025 का अमेरिका अब पहले जैसा नहीं रहा। ‘अमेरिकन ड्रीम’ कभी जो दुनियाभर के लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता था, आज उसी सपने पर कठोरता की छाया मंडरा रही है। डॉनल्ड ट्रंप की दूसरी पारी की शुरुआत ने आव्रजन नीतियों में जिस सख्ती को जन्म दिया है, उसने हजारों भारतीय परिवारों के भविष्य पर प्रश्नचिन्ह लगा दिया है।

जब ट्रंप दोबारा राष्ट्रपति बने, तो यह पहले से ही अंदाजा था कि उनकी आव्रजन नीति कठोर होगी, लेकिन यह सख्ती इस हद तक जाएगी कि हर दिन औसतन 8 भारतीयों को अमेरिका से डिपोर्ट किया जाएगा, यह किसी ने नहीं सोचा था।

भारतीय विदेश मंत्रालय के अनुसार, जनवरी से जुलाई 2025 तक 1,703 भारतीय अमेरिका से डिपोर्ट किए गए यानि हर दिन औसतन 8 भारतीय नागरिकों को निर्वासित किया गया। 2020 से दिसंबर 2024 तक यह औसत 3 प्रति दिन था। पिछले साढ़े पांच सालों में कुल 7,244 भारतीयों को डिपोर्ट किया गया। ट्रंप के दोबारा सत्ता में आने के बाद, जनवरी 2025 से डिपोर्ट की गति लगभग 3 गुना हो गई है। यह न केवल संख्या की दृष्टि से डरावना है, बल्कि इससे यह भी जाहिर होता है कि अमेरिकी नीतियों का रुख कितनी तेजी से कठोरता की ओर मुड़ा है।

2025 में डिपोर्ट किए गए 1,703 भारतीयों में से 90% केवल 5 राज्यों से हैं, जिसमें पंजाब से 620, हरियाणा से 604, गुजरात से 245, उत्तर प्रदेश से 38 और गोवा से 26 को डिपोर्ट किया गया है। अन्य राज्यों से डिपोर्टेशन की संख्या अपेक्षाकृत कम रही है, जिसमें महाराष्ट्र और दिल्ली से 20-20, तेलंगाना से 19, तमिलनाडु से 17, आंध्र प्रदेश और उत्तराखंड  12-12 और कर्नाटक से 5 हैं। इन आंकड़ों से साफ होता है कि पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों से अवैध प्रवासियों की संख्या अधिक रही है, जिससे यह क्षेत्र ट्रंप प्रशासन की निगरानी के केंद्र में रहा है। 

26 जून 2025 को अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट कर दिया कि "वीजा मिलने के बाद भी उस व्यक्ति की गतिविधियों पर नजर रखी जाएगी।" यह साफ संदेश है कि अमेरिका अब ‘सिर्फ वीजा के आधार पर स्थायित्व’ को स्वीकार नहीं करता। यदि कोई प्रवासी वीजा की शर्तों का उल्लंघन करता है या संदिग्ध गतिविधियों में लिप्त पाया जाता है, तो उसका वीजा रद्द किया जा सकता है। उसे तुरंत डिपोर्ट किया जा सकता है। उस पर भविष्य में स्थायी रूप से वीजा प्रतिबंध भी लगाया जा सकता है। अमेरिकी सीमा में प्रवेश करते ही गिरफ्तारी संभव है।

1 अगस्त 2025 को अमेरिकी नागरिकता एवं आव्रजन सेवा (USCIS) ने नए दिशानिर्देश जारी किया है। इसका मकसद ग्रीन कार्ड के लिए की गई झूठी शादी (Marital Fraud) को रोकना है।

नई नीति के मुख्य बिंदु है, वैवाहिक आधार पर ग्रीन कार्ड के आवेदन में पति और पत्नी दोनों की विस्तृत जांच होगी। साक्षात्कार, दस्तावेजों की गहन समीक्षा, और पारिवारिक पृष्ठभूमि की जांच अनिवार्य हो गई है। यदि कोई विवाह फर्जी या केवल ग्रीन कार्ड प्राप्ति के लिए किया गया पाया गया, तो ग्रीन कार्ड रद्द कर दिया जाएगा। डिपोर्टेशन की प्रक्रिया तुरंत शुरू होगी और अमेरिका में स्थायी प्रतिबंध भी लग सकता है।

ट्रंप प्रशासन ने इन डिपोर्टेशनों को ‘राष्ट्रीय सुरक्षा’, ‘अर्थव्यवस्था की रक्षा’ और ‘नागरिकता की पवित्रता’ का नाम दिया है। उनके मुताबिक अवैध प्रवासी अमेरिकी संसाधनों पर बोझ हैं। नकली शादियों से ग्रीन कार्ड की गरिमा को नुकसान होता है। विदेशी नागरिकों को कठिन मापदंडों के आधार पर ही स्थायी निवास दिया जाना चाहिए। यह सख्त रुख ट्रंप की मूल 'America First' नीति के तहत आता है, जहां उनका उद्देश्य देशी नागरिकों को प्राथमिकता देना है।

भारत के हजारों परिवार जो अपने बेटे-बेटियों को पढ़ाई या नौकरी के लिए अमेरिका भेजते थे, अब तनाव में हैं। रोज नए डिपोर्ट मामलों ने प्रवासियों की मानसिक स्थिति खराब कर दी है। H1B और F1 वीजाधारी छात्रों में डर है कि अगर कोई भी नियम तोड़ा गया, तो उन्हें सीधे वापस भेजा जा सकता है, जिससे उनका करियर खतरे में पड़ सकता है। अब ग्रीन कार्ड या वीजा प्राप्त करने की प्रक्रिया में ज्यादा कानूनी सहायता, डॉक्युमेंटेशन, और जांच की आवश्यकता होती है, जिससे लोगों का वित्तीय बोझ बढ़ गया है। डिपोर्ट किए गए प्रवासी अक्सर अपने घरों को विदेशी मुद्रा भेजते थे, जो अब बंद हो गई है। इससे भारत के ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों की अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक असर पड़ रहा है।

भारतीय सरकार ने इस मुद्दे को लेकर चिंता व्यक्त किया है। विदेश मंत्रालय के अधिकारी का कहना है कि  "हम अमेरिका से डिपोर्ट किए जा रहे नागरिकों के मानवाधिकारों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम अमेरिका के साथ निरंतर संवाद में हैं ताकि अनावश्यक डिपोर्टेशन को रोका जा सके।" 

भारत की प्रतिक्रिया सावधानीपूर्वक संतुलित रही है ताकि राजनयिक संबंधों पर असर न पड़े। लेकिन बढ़ती संख्या के चलते यह मुद्दा अब भारत-अमेरिका संबंधों में केंद्रबिंदु बनने लगा है।

डिपोर्टेशन से पहले की प्रक्रिया है वीजा नियमों का उल्लंघन चिह्नित होता है, व्यक्ति को नोटिस मिलता है, आव्रजन न्यायालय में सुनवाई, अपील या बचाव की सीमित समयावधि और निर्णय आने के बाद तत्काल डिपोर्टेशन किया जाता है। अब यह प्रक्रिया त्वरित और स्वचालित हो गई है, जिससे प्रवासियों को बचाव का पर्याप्त समय नहीं मिलता है।

डॉनल्ड ट्रंप के दोबारा राष्ट्रपति बनने के बाद अमेरिका की नीति में जो बदलाव आया है, उन्होंने स्पष्ट कर दिया है कि अब वहां नियमों से बाहर रहकर जीना संभव नहीं है। हर दिन डिपोर्ट हो रहे भारतीय इस सख्ती के प्रत्यक्ष प्रमाण हैं। आने वाले समय में यदि यह रुझान बरकरार रहा, तो न केवल प्रवासी भारतीयों के लिए मुश्किलें बढ़ेंगी, बल्कि भारत-अमेरिका संबंधों की लोकप्रिय छवि पर भी असर पड़ सकता है।












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