आसान हुआ ईपीएफओ “डेथ क्लेम” - अभिभावक प्रमाण पत्र की शर्त हुआ खत्म

Jitendra Kumar Sinha
0



भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने अपने लाखों सदस्यों और उनके परिवारों के लिए एक बड़ी राहत भरी घोषणा की है। अब ईपीएफओ के “डेथ क्लेम सेटलमेंट” की प्रक्रिया पहले से कहीं अधिक सरल हो गई है। संगठन ने अपने हालिया सर्कुलर में स्पष्ट किया है कि मृत सदस्य के नाबालिग बच्चों के बैंक खाते में क्लेम राशि भेजने के लिए अब “अभिभावक प्रमाण पत्र (गार्डियनशिप सर्टिफिकेट)” की आवश्यकता नहीं होगी।

पहले, यदि किसी ईपीएफओ सदस्य की मृत्यु हो जाती थी और उसका नामित वारिस नाबालिग होता था, तो क्लेम राशि उसके बैंक खाते में भेजने के लिए अभिभावक प्रमाण पत्र अनिवार्य था। यह प्रमाण पत्र कोर्ट या सक्षम प्राधिकरण से प्राप्त करना पड़ता था, जो समय लेने वाली और जटिल प्रक्रिया थी। इस कारण, प्रभावित परिवारों को वित्तीय सहायता मिलने में काफी देर हो जाती थी।

नई व्यवस्था के तहत, ईपीएफओ अब सीधे नाबालिग वारिस के बैंक खाते में सेटलमेंट राशि भेज सकेगा। अभिभावक प्रमाण पत्र की अनिवार्यता खत्म होने से प्रक्रिया तेज और आसान हो जाएगी। यह बदलाव विशेष रूप से उन परिवारों के लिए फायदेमंद है, जिन्हें अपने कमाने वाले सदस्य के निधन के बाद तुरंत आर्थिक सहायता की आवश्यकता होती है।

ईपीएफओ ने अपने सदस्यों को सुझाव दिया है कि वे अपने नाबालिग बच्चों के नाम से अलग बैंक खाते खोलें। इससे न केवल डेथ क्लेम बल्कि पेंशन और अन्य लाभ भी सीधे उस खाते में जमा किए जा सकेंगे। नाबालिग का खाता खोलने के लिए आमतौर पर किसी अभिभावक का नाम जोड़ना होता है, लेकिन यह प्रक्रिया बैंक स्तर पर सरल होती है और कोर्ट के सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं पड़ती। 

कानूनी प्रमाण पत्र की जरूरत खत्म होने से समय बचेगा। शोकग्रस्त परिवारों को जल्दी मदद मिलेगी। दस्तावेजी औपचारिकताएं घटेगी। सीधे बैंक खाते में राशि आने से पारदर्शिता बढ़ेगी।

ईपीएफओ का यह निर्देश तुरंत प्रभाव से लागू हो गया है। यानि, अब से किए जाने वाले डेथ क्लेम में अभिभावक प्रमाण पत्र की मांग नहीं की जाएगी।

ईपीएफओ का यह कदम न केवल प्रशासनिक सुधार है, बल्कि यह लाखों परिवारों के लिए एक राहत भरी खबर है। कमाने वाले सदस्य के अचानक निधन के बाद वित्तीय सहायता में देरी से परिवार की परेशानी और बढ़ जाती है। ऐसे में यह बदलाव उन्हें त्वरित आर्थिक मदद दिलाने में अहम भूमिका निभाएगा।

अब यह जरूरी है कि सभी सदस्य समय रहते अपने नाबालिग बच्चों के बैंक खाते खुलवा लें, ताकि किसी अनहोनी की स्थिति में उनके परिवार को आर्थिक सहायता पाने में कोई अड़चन न आए। यह छोटा सा कदम कठिन समय में बड़ा सहारा बन सकता है।


एक टिप्पणी भेजें

0टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें (0)

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn More
Ok, Go it!
To Top