8 अगस्त को रिलीज होगी बहुचर्चित फिल्म -'उदयपुर फाइल्स'

Jitendra Kumar Sinha
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बहुप्रतीक्षित और बहुचर्चित फिल्म ‘उदयपुर फाइल्स’ आखिरकार 8 अगस्त को सिनेमाघरों में दस्तक देने जा रही है। यह फिल्म उदयपुर में हुए सनसनीखेज कन्हैयालाल हत्याकांड पर आधारित है, जिसने देश को झकझोर कर रख दिया था। लंबे समय से फिल्म विवादों में घिरी रही, लेकिन अब सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने इस पर लगाई गई आपत्तियों को सिरे से खारिज करते हुए इसे रिलीज की मंजूरी दे दी है।

यह फिल्म एक ऐसे जघन्य अपराध पर आधारित है, जिसने भारत के सामाजिक ताने-बाने और धार्मिक सहिष्णुता को कठघरे में ला खड़ा किया था। साल 2022 में उदयपुर के टेलर कन्हैयालाल की दिनदहाड़े दुकान में घुसकर हत्या कर दी गई थी, सिर्फ इसलिए कि उन्होंने एक सोशल मीडिया पोस्ट को समर्थन दे दिया था। इस निर्मम हत्या की वीडियो क्लिपिंग भी बनाई गई थी और आतंक का खुला प्रदर्शन किया गया था।

‘उदयपुर फाइल्स’ इसी भयावह घटना के इर्द-गिर्द घूमती है और उन तथ्यों को सामने लाने का प्रयास करती है जिन्हें आम जनता ने शायद न सुना हो या मीडिया ने पूरी तरह नहीं दिखाया हो।

फिल्म की घोषणा के साथ ही इस पर कई राजनीतिक और सामाजिक संगठनों ने आपत्ति जताई थी। उनका कहना था कि यह फिल्म एक खास समुदाय के विरुद्ध माहौल बना सकती है और सामाजिक सौहार्द्र को नुकसान पहुंचा सकती है। सेंसर बोर्ड के पास कई याचिकाएं दायर की गई थी, जिसमें फिल्म पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई थी।

मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि फिल्म में जो कुछ दिखाया गया है, वह पहले से सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध तथ्य हैं और यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार के तहत आता है। इसलिए अब फिल्म को रिलीज से नहीं रोका जा सकता है।

फिल्म के निर्देशक का कहना है कि उनका उद्देश्य किसी भी समुदाय को निशाना बनाना नहीं है, बल्कि एक सच्ची घटना को पर्दे पर लाना है ताकि देश को यह याद रहे कि विचारों की असहमति के नाम पर हत्या को कभी भी स्वीकार नहीं किया जा सकता है।

फिल्म में कई प्रमुख कलाकारों ने सशक्त अभिनय किया है और इसका संगीत तथा पटकथा भी इस संवेदनशील विषय को गंभीरता से उठाने में सफल रही है।

‘उदयपुर फाइल्स’ न केवल एक फिल्म है, बल्कि यह उस संघर्ष की प्रतीक है जिसमें सत्य को सामने लाने के लिए सिनेमा को हथियार बनाया गया है। यह फिल्म उन सवालों से टकराती है जिन्हें अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है। 8 अगस्त को जब यह फिल्म बड़े पर्दे पर आएगी, तो यह केवल एक सिनेमाई अनुभव नहीं होगी, बल्कि एक सामाजिक दस्तावेज भी होगी जो न भूलने की चेतावनी देती है।



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