राज्य सरकार ने बुधवार को हुई कैबिनेट बैठक में ऐतिहासिक फैसला लेते हुए जेपी सेनानियों की पेंशन राशि दोगुनी करने का प्रस्ताव मंजूर कर लिया। इस निर्णय से उन तमाम स्वतंत्रता, लोकतंत्र और न्याय के लिए संघर्ष करने वाले आंदोलनकारियों को सीधा लाभ मिलेगा, जिन्होंने आपातकाल के दौरान और जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में चले आंदोलन में सक्रिय भागीदारी निभाई थी।
जेपी सेनानी वे लोग हैं जिन्होंने 1970 के दशक में जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में भ्रष्टाचार, तानाशाही और आपातकाल के खिलाफ जन आंदोलन में हिस्सा लिया। इस आंदोलन में शामिल कई कार्यकर्ताओं को जेल की सज़ा भी भुगतनी पड़ी और उन्होंने लोकतंत्र की रक्षा के लिए कठिन परिस्थितियों का सामना किया।
कैबिनेट द्वारा स्वीकृत प्रस्ताव के अनुसार, एक से छह माह तक जेल में रहे आंदोलनकारी को पहले पेंशन ₹7,500 प्रतिमाह मिलता था, अब इसे बढ़ाकर ₹15,000 किया गया है। वहीं, छह माह से अधिक जेल में रहे आंदोलनकारी को पहले पेंशन ₹15,000 प्रतिमाह था, अब इसे बढ़ाकर ₹30,000 किया गया है। इस बढ़ोतरी से न केवल आंदोलनकारियों की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी, बल्कि उनके योगदान को भी सरकारी स्तर पर और सम्मान मिलेगा।
राज्य सरकार का कहना है कि यह निर्णय लोकतंत्र की रक्षा के लिए संघर्ष करने वाले सच्चे सपूतों के सम्मान में लिया गया है। जिन लोगों ने देश के लोकतांत्रिक ढांचे को बचाने के लिए अपनी आजादी और सुरक्षा दांव पर लगा दी, उनके त्याग और योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता है।
जयप्रकाश नारायण का आंदोलन भारत के राजनीतिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ। यह आंदोलन न केवल भ्रष्टाचार और राजनीतिक तानाशाही के खिलाफ था, बल्कि इसने युवा पीढ़ी को राजनीति में सक्रिय भागीदारी के लिए प्रेरित किया। इस संघर्ष ने कई भविष्य के नेताओं को जन्म दिया और भारतीय लोकतंत्र को एक नई दिशा दी।
इस घोषणा के बाद जेपी सेनानियों और उनके परिवारों में खुशी की लहर है। कई आंदोलनकारियों ने कहा कि यह सिर्फ आर्थिक मदद नहीं है, बल्कि उनके बलिदान की आधिकारिक मान्यता है। वर्षों से बढ़ोतरी की मांग की जा रही थी, जिसे अब जाकर मंजूरी मिली है।
राज्य सरकार का यह कदम लोकतंत्र की रक्षा के लिए लड़े गए संघर्ष की विरासत को सहेजने की दिशा में एक सराहनीय प्रयास है। यह निर्णय न केवल आर्थिक राहत देगा, बल्कि लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है।
