एनसीइआरटी द्वारा विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के मौके पर जारी - नये मॉड्यूल में विभाजन का जिम्मेदार - जिन्ना, कांग्रेस और माउंटबेटन

Jitendra Kumar Sinha
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भारत का विभाजन केवल एक राजनीतिक घटना नहीं था, बल्कि यह करोड़ों लोगों के जीवन को प्रभावित करने वाली ऐतिहासिक त्रासदी थी। लाखों लोग विस्थापित हुए, लाखों ने अपनी जान गंवाई और अनगिनत परिवार बिखर गए। हाल ही में एनसीईआरटी द्वारा जारी नये मॉड्यूल में इस विभाजन के लिए सीधे तौर पर तीन पक्षों को जिम्मेदार ठहराया गया है, मोहम्मद अली जिन्ना, कांग्रेस और तत्कालीन वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन।

मोहम्मद अली जिन्ना का मानना था कि हिन्दू और मुसलमान एक साथ नहीं रह सकते है। उन्होंने "दो राष्ट्र सिद्धांत" को आगे बढ़ाया और मुसलमानों के लिए अलग देश की मांग तेज कर दी। जिन्ना की यह जिद इतनी बढ़ी कि अंततः पाकिस्तान की स्थापना हुई। विभाजन की आग भड़काने और सांप्रदायिक तनाव को बढ़ाने में उनकी भूमिका सबसे अहम रही।

कांग्रेस, जो उस समय आजादी की सबसे बड़ी लड़ाई लड़ रही थी, कई मौकों पर कठोर निर्णय लेने से बचती रही। जिन्ना के बढ़ते दबाव और मुस्लिम लीग के आंदोलन को रोकने के लिए कांग्रेस ने कई समझौते किए, लेकिन यह समझौता टिका नहीं पाए। इतिहासकारों का मानना है कि कांग्रेस नेताओं की जल्दबाजी और कुछ हद तक लापरवाही ने भी विभाजन को तेज किया।

ब्रिटिश वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन ने सत्ता हस्तांतरण की प्रक्रिया को जल्दबाजी में पूरा किया। सीमाओं का निर्धारण भी जल्दबाजी में किया गया, जिसके चलते लाखों लोग नए बने भारत और पाकिस्तान के बीच फंस गए। विभाजन की रेखा खींचते समय लोगों की भावनाओं और जमीनी हकीकत को अनदेखा किया गया। माउंटबेटन की यह जल्दबाजी एक बड़े नरसंहार और मानवीय त्रासदी का कारण बनी।

विभाजन के बाद सबसे बड़ी समस्या कश्मीर के रूप में सामने आई। पाकिस्तान ने इस पर दावा किया और हमले शुरू कर दिए। यह विवाद आज तक भारत-पाक संबंधों में तनाव का मूल कारण बना हुआ है। कुछ देश पाकिस्तान को इस मुद्दे पर समर्थन देते हैं और भारत पर दबाव बनाने की कोशिश करते रहते हैं।

भारत का विभाजन इतिहास की सबसे बड़ी मानवीय त्रासदियों में से एक था। एनसीईआरटी के नये मॉड्यूल में जिन्ना, कांग्रेस और माउंटबेटन को जिम्मेदार ठहराना इस त्रासदी के पीछे की सच्चाई को उजागर करता है। यह याद दिलाता है कि जल्दबाजी, राजनीतिक जिद और गलत फैसले किस तरह करोड़ों लोगों के जीवन को तबाह कर सकते हैं। विभाजन केवल इतिहास का एक अध्याय नहीं है, बल्कि एक सीख है, जहां एकता, धैर्य और दूरदृष्टि ही किसी राष्ट्र को सुरक्षित और सशक्त बना सकते हैं।



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