भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने चेक क्लियरिंग प्रक्रिया में बड़ा बदलाव करने का फैसला किया है, जो देशभर में लाखों बैंक ग्राहकों के लिए राहत की खबर है। 4 अक्टूबर से चेक ट्रंकेशन सिस्टम (सीटीएस) को 'ऑन-रियलाइजेशन सेटलमेंट' आधार पर संचालित किया जाएगा। इस बदलाव के बाद चेक जमा करने के कुछ ही घंटों में भुगतान हो जाएगा, जबकि अभी मौजूदा प्रणाली में चेक क्लियर होने में दो दिन तक का समय लग जाता है।
अभी सीटीएस बैच सिस्टम पर चलता है, जिसमें पूरे दिन में प्राप्त चेकों को एक निश्चित समय पर प्रोसेस कर क्लीयर किया जाता है। इस प्रक्रिया में शाखा से मुख्य प्रोसेसिंग सेंटर तक और फिर भुगतान बैंक तक चेक की जानकारी भेजने में समय लगता है। लेकिन 'ऑन-रियलाइजेशन सेटलमेंट' सिस्टम में चेक रियल-टाइम या लगभग रियल-टाइम में प्रोसेस होंगे, जिससे पैसे जल्दी ग्राहक के खाते में आ जाएंगे।
आरबीआई ने बताया है कि यह बदलाव दो चरणों में लागू किया जाएगा। पहला चरण 4 अक्टूबर 2025 से देशभर में सभी बैंक शाखाओं में ऑन-रियलाइजेशन सेटलमेंट शुरू होगा। दूसरा चरण 3 जनवरी 2026 से यह प्रणाली पूरी तरह से लागू कर दी जाएगी, जिससे सभी चेक बिना देरी के तेजी से निपटाए जाएंगे।
अब चेक जमा करने के बाद दो दिन इंतजार नहीं करना पड़ेगा। व्यापारियों और कंपनियों को पेमेंट जल्दी मिलने से कैश फ्लो सुधरेगा। अचानक पैसों की जरूरत होने पर चेक का उपयोग ज्यादा उपयोगी होगा।
इस नई प्रणाली से न केवल ग्राहकों को बल्कि बैंकों को भी फायदा होगा। तेज़ निपटान से बैंकों में नकदी प्रबंधन आसान होगा, चेक क्लियरिंग में लंबित मामलों की संख्या घटेगी और धोखाधड़ी की संभावना भी कम होगी, क्योंकि लेन-देन में देरी नहीं होगी।
सीटीएस एक इलेक्ट्रॉनिक चेक प्रोसेसिंग सिस्टम है, जिसमें चेक की भौतिक आवाजाही के बजाय उसकी स्कैन की गई इमेज और संबंधित डेटा का इलेक्ट्रॉनिक ट्रांसफर किया जाता है। इससे क्लियरिंग तेज और सुरक्षित होती है। अब इसमें रियल-टाइम प्रोसेस जुड़ने से इसकी कार्यक्षमता और बढ़ जाएगी।
आरबीआई का यह कदम देश की बैंकिंग प्रणाली में एक बड़ा तकनीकी सुधार है, जो डिजिटल पेमेंट्स के साथ-साथ पारंपरिक बैंकिंग तरीकों को भी तेज और प्रभावी बनाएगा। आने वाले समय में यह बदलाव ग्राहकों, व्यापारियों और बैंकों, सभी के लिए लाभकारी साबित होगा।
