रोहतास किले तक जल्द पहुंचेगी “रोप-वे”

Jitendra Kumar Sinha
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बिहार के ऐतिहासिक धरोहरों में शुमार ‘रोहतासगढ़ किला’ अब आधुनिक पर्यटन सुविधाओं से और भी करीब हो जाएगा। सासाराम स्थित इस किले तक पहुँचने के लिए जल्द ही “रोप-वे सेवा” शुरू होने जा रही है। लंबे इंतजार के बाद यह परियोजना अपने अंतिम चरण में पहुँच चुका है और अब केवल ट्रायल की औपचारिकता बाकी है।

रोहतासगढ़ किला भारत की प्राचीन और भव्य धरोहरों में से एक है। यह किला न केवल अपने स्थापत्य और इतिहास के लिए प्रसिद्ध है बल्कि इसकी भौगोलिक स्थिति भी पर्यटकों को आकर्षित करती है। ऊँचाई पर स्थित होने के कारण किले तक पहुँचना पर्यटकों के लिए चुनौतीपूर्ण रहा है। इसी कठिनाई को देखते हुए बिहार सरकार ने रोप-वे निर्माण की योजना शुरू की थी।

यह महत्वाकांक्षी योजना 2022-23 में शुरू हुई थी, जिसे बिहार सरकार ने करीब 12.65 करोड़ रुपये की लागत से तैयार कराया है। परियोजना को मूल रूप से 2025 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन अब काम तेजी से पूरा कर इसे जल्द शुरू किया जा रहा है।

फिलहाल रोप-वे के वायर लगाने का कार्य अंतिम चरण में है। अधिकारियों के मुताबिक, बहुत जल्द इसका ट्रायल रन किया जाएगा। यदि सबकुछ सफल रहा तो आने वाले महीनों में यह सुविधा आम पर्यटकों के लिए खोल दी जाएगी।

राज्य सरकार आगामी विधानसभा चुनावों को देखते हुए इस परियोजना को प्राथमिकता पर ले रही है। समय से पहले रोप-वे शुरू करना न केवल पर्यटकों के लिए सुविधा लेकर आएगा बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था और पर्यटन उद्योग को भी नई गति देगा।

रोप-वे शुरू होने के बाद रोहतासगढ़ किला राज्य और देशभर से आने वाले पर्यटकों के लिए और अधिक सुलभ हो जाएगा। इससे न केवल पर्यटकों की संख्या बढ़ेगी बल्कि आसपास के क्षेत्रों में होटल, रेस्टोरेंट और स्थानीय दुकानों को भी फायदा होगा।

रोप-वे से रोहतास किले तक पहुँचने का अनुभव पर्यटकों के लिए रोमांचक होगा। पहाड़ियों और हरियाली से घिरे इस किले तक पहुँचने का सफर पर्यटकों को प्राकृतिक सौंदर्य का अद्भुत नजारा दिखाएगा। इससे किले की ऐतिहासिक महत्ता के साथ-साथ उसका प्राकृतिक आकर्षण भी और अधिक निखरकर सामने आएगा।

रोहतासगढ़ किले पर बनने वाला यह रोप-वे न केवल एक तकनीकी सुविधा है, बल्कि यह बिहार के पर्यटन विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी है। यह परियोजना पर्यटकों को सुविधा, स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती और राज्य की ऐतिहासिक धरोहर को नई पहचान दिलाने का काम करेगी। 



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