लोकतंत्र की सफलता का आधार है निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव। इसी उद्देश्य से बिहार विधानसभा आम निर्वाचन-2025 के लिए चुनाव आयोग ने तैयारी तेज कर दी है। इस बार चुनाव प्रक्रिया के दौरान फेक न्यूज, भ्रामक सूचना और पेड न्यूज पर विशेष निगरानी रखी जाएगी, ताकि मतदाताओं तक केवल सही और प्रमाणित जानकारी ही पहुंच सके।
मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी विनोद सिंह गुंजियाल की अध्यक्षता में बुधवार को जिला स्तरीय मीडिया एवं स्वीप नोडल पदाधिकारियों का एक दिवसीय प्रशिक्षण आयोजित किया गया। इसमें साफ कहा गया कि सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म पर फैल रही गलत खबरों को तुरंत चिन्हित कर कार्रवाई की जाएगी। साथ ही, किसी भी प्रकार की पेड न्यूज को सख्ती से रोका जाएगा।
इस बार निर्वाचन आयोग ने यह सुनिश्चित करने का निर्णय लिया है कि मतदाताओं तक केवल प्रमाणिक और निष्पक्ष सूचना ही पहुंचे। गलत सूचना फैलाने वालों पर न सिर्फ चुनावी कानूनों के तहत कार्रवाई होगी, बल्कि उन्हें दंडात्मक प्रावधानों का भी सामना करना पड़ेगा।
पिछले कुछ वर्षों में फेक न्यूज और पेड न्यूज लोकतांत्रिक प्रक्रिया के लिए सबसे बड़ा खतरा बनकर उभरा है। सोशल मीडिया के जरिए मिनटों में हजारों लोगों तक भ्रामक संदेश पहुंच जाता है। इसका सीधा असर मतदाताओं के निर्णय पर पड़ता है। यही कारण है कि निर्वाचन आयोग ने इसे रोकने के लिए सख्त कदम उठाने का फैसला किया है।
पेड न्यूज यानि पैसे देकर छपवायी या प्रसारित करायी गई खबर। यह मतदाताओं को गुमराह करने का एक और तरीका है। आयोग ने साफ कर दिया है कि किसी भी तरह की पेड न्यूज को चुनाव खर्च में शामिल किया जाएगा और संबंधित प्रत्याशी पर कार्रवाई होगी।
चुनाव प्रक्रिया में मीडिया की भूमिका बेहद अहम होती है। आयोग ने मीडिया नोडल अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे निष्पक्षता और पारदर्शिता बनाए रखें। समाचारों की सत्यता की पुष्टि करना और किसी भी गलत सूचना की तुरंत रिपोर्ट करना उनकी जिम्मेदारी होगी।
बिहार विधानसभा चुनाव-2025 को निष्पक्ष और पारदर्शी बनाने के लिए यह कदम अत्यंत महत्वपूर्ण है। चुनाव आयोग की पहल से उम्मीद की जा रही है कि इस बार मतदाता बिना किसी भ्रम और झूठी खबरों के प्रभाव में आए, अपनी स्वतंत्र और निष्पक्ष राय व्यक्त कर सकेंगे।
लोकतंत्र की रक्षा तभी संभव है जब चुनाव प्रक्रिया स्वतंत्र, निष्पक्ष और पारदर्शी हो। फेक न्यूज और पेड न्यूज पर निगरानी के लिए चुनाव आयोग की यह सख्ती न केवल लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा करेगी बल्कि जनता के विश्वास को भी और मजबूत बनाएगी।
