यूरेनस की कक्षा में नासा ने खोजा - “नया लघु चंद्रमा”

Jitendra Kumar Sinha
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अंतरिक्ष के अनंत सागर में हर दिन कुछ नया जुड़ता है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने एक बार फिर दुनिया को चौंका दिया है। इस बार खोज हुई है सौरमंडल के सातवें ग्रह यूरेनस (Uranus) के चारों ओर घूम रहे एक नए और बेहद “छोटे चंद्रमा” की। नासा के मुताबिक, यह चंद्रमा लगभग 10 किलोमीटर चौड़ा है और इसे फरवरी 2025 में जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप (JWST) ने अपने नियर इंफ्रारेड कैमरे के जरिए दर्ज किया।

यूरेनस के चारों ओर पहले से ही 27 ज्ञात चंद्रमा मौजूद हैं। लेकिन यह नया उपग्रह इतना छोटा और मंद रोशनी वाला है कि अब तक छिपा हुआ था। वैज्ञानिकों का कहना है कि यह चंद्रमा अपनी क्षीण चमक और सूक्ष्म आकार की वजह से साधारण टेलीस्कोप की आंखों से बचा रहा। वेब टेलीस्कोप की संवेदनशील तकनीक ने ही इसे पहचानने में सफलता पाई।

वैज्ञानिकों का मानना है कि यह खोज न केवल यूरेनस के बारे में हमारी समझ को और गहरा करेगी, बल्कि सौरमंडल के विकासक्रम से जुड़े कई रहस्यों को भी उजागर कर सकती है। सबसे पहले, छोटे आकार के चंद्रमा यह बताता है कि ग्रहों के चारों ओर बनने वाले उपग्रह किस तरह से उत्पन्न हुए और अरबों सालों से कैसे टिके हुए हैं। दूसरा, यह खोज सौरमंडल के बाहरी हिस्सों में मौजूद अनछुए खगोलीय पिंडों के अध्ययन को और आगे बढ़ाएगी। तीसरा, यह समझने में मदद मिलेगी कि यूरेनस जैसे गैस दानव ग्रहों की गुरुत्वाकर्षण शक्तियां छोटे खगोलीय पिंडों को कैसे कैद कर पाती हैं।

यूरेनस सौरमंडल का सातवां ग्रह है और सूर्य से इसकी दूरी लगभग 2.9 अरब किलोमीटर है। यह नीला-हरा ग्रह अपनी अजीब धुरी झुकाव (98 डिग्री) और रिंग सिस्टम के कारण विशेष माना जाता है। इसके प्रमुख चंद्रमाओं में टिटानिया, ओबेरॉन, मिरांडा, एरियल और अम्ब्रियल शामिल हैं। अब नए चंद्रमा की खोज ने इनकी संख्या को और बढ़ा दिया है।

नासा का जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप, जो अब तक का सबसे शक्तिशाली अंतरिक्ष दूरबीन है, लगातार ब्रह्मांड के रहस्यों से पर्दा उठा रहा है। दूरस्थ आकाशगंगाओं और तारों की खोज के साथ अब यह हम अपने सौरमंडल में भी अहम खोजों में योगदान दे रहा है। इसकी उच्च क्षमता वाली इन्फ्रारेड तकनीक ही इस छोटे से चंद्रमा को पकड़ सकी।

विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले वर्षों में इसी तकनीक से और भी सूक्ष्म चंद्रमा और छोटे ग्रहों की पहचान की जा सकती है। यह संभव है कि यूरेनस और नेपच्यून की कक्षा में अभी और भी अज्ञात उपग्रह छिपे हों। साथ ही, इस खोज से भविष्य में संभावित मानव मिशन या रोबोटिक अन्वेषण के लिए नई दिशा मिलेगी।



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