वोटर लिस्ट से नाम गायब - फुलवारीशरीफ के बीएलओ सस्पेंड - मतदाताओं में आक्रोश

Jitendra Kumar Sinha
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लोकतांत्रिक व्यवस्था में मतदाता सूची की शुद्धता सबसे अहम मानी जाती है। चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता और निष्पक्षता का आधार ही मतदाता सूची है। लेकिन फुलवारीशरीफ विधानसभा क्षेत्र में हाल ही में सामने आई बड़ी लापरवाही ने न केवल प्रशासन को सख्ती बरतने पर मजबूर किया, बल्कि मतदाताओं में भी गहरा आक्रोश पैदा कर दिया।

फुलवारीशरीफ विधानसभा क्षेत्र के बूथ संख्या 83 की प्रारूप मतदाता सूची में 214 वोटरों के नाम गायब पाए गए। जब सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण हुआ तो स्थानीय लोगों ने आपत्ति जताई। मतदाताओं का कहना था कि बीएलओ (बूथ लेवल ऑफिसर) ने अपनी जिम्मेदारी सही ढंग से नहीं निभाई और बिना सही जांच-पड़ताल के सूची तैयार कर भेज दी।

इस गंभीर लापरवाही को लेकर जिला पदाधिकारी (डीएम) डॉ. त्यागराजन एसएम ने तत्काल कार्रवाई करते हुए बीएलओ राजू चौधरी को निलंबित कर दिया। प्रशासन का कहना है कि मतदाता सूची तैयार करना अत्यंत जिम्मेदारी का काम है, और इसमें किसी भी तरह की लापरवाही को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

स्थानीय लोगों ने बताया कि पुनरीक्षण के दौरान बीएलओ मौके पर उपस्थित नहीं रहते थे। कई बार मतदाताओं को अपने नाम शामिल कराने के लिए उनसे संपर्क तक नहीं हो पाया। यही वजह रही कि मतदाता सूची में बड़ी संख्या में नाम कट गए। आपत्ति दर्ज होने के बाद प्रशासन ने नाम जोड़ने की प्रक्रिया शुरू की, जिसके तहत 70 वोटरों ने फॉर्म-6 भरकर अपने नाम दोबारा दर्ज कराने की पहल की।

जिला पदाधिकारी डॉ. त्यागराजन एसएम ने कहा कि मतदाता सूची का प्रारूप प्रकाशन हो चुका है। ऐसे मतदाता जिनका नाम सूची से हट गया है, वे आधार कार्ड समेत अन्य आवश्यक दस्तावेजों के साथ आवेदन जमा कर अपने नाम दोबारा जुड़वा सकते हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि प्रशासन किसी भी मतदाता को वंचित नहीं रहने देगा।

भारत जैसे विशाल लोकतंत्र में मतदाता सूची केवल एक दस्तावेज नहीं है, बल्कि नागरिक के अधिकार और भागीदारी का प्रतीक है। यदि सूची से नाम छूट जाता है, तो व्यक्ति अपने मौलिक अधिकार यानि मतदान के अधिकार से वंचित हो जाता है। यही कारण है कि चुनाव आयोग और प्रशासन समय-समय पर मतदाता सूची का पुनरीक्षण करता है।

फुलवारीशरीफ की इस घटना ने यह स्पष्ट कर दिया है कि मतदाता सूची को लेकर मतदाताओं को भी सतर्क रहना चाहिए। हर नागरिक को अपने नाम की स्थिति समय रहते जांच लेनी चाहिए, ताकि चुनाव के दिन किसी तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े।

फुलवारीशरीफ का यह मामला प्रशासनिक लापरवाही का उदाहरण है, लेकिन समय रहते की गई कार्रवाई ने यह संदेश भी दिया है कि चुनावी प्रक्रिया से किसी तरह का समझौता स्वीकार्य नहीं। 



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