पितृपक्ष मेला के लिए विशेष पैकेज और इ-पिंडदान सेवा

Jitendra Kumar Sinha
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बिहार का गया जी पितृपक्ष मेले के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है। हर साल लाखों श्रद्धालु यहाँ पहुँचकर अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण और पिंडदान करते हैं। इस बार 6 से 21 सितंबर तक आयोजित होने जा रहे इस मेले में बिहार राज्य पर्यटन विकास निगम (बीएसटीडीसी) ने श्रद्धालुओं के लिए कई नई और आधुनिक सुविधाओं की घोषणा की है।

समय और दूरी की वजह से कई लोग पितृपक्ष मेले में व्यक्तिगत रूप से शामिल नहीं हो पाते हैं। ऐसे श्रद्धालुओं के लिए इस बार बीएसटीडीसी ने इ-पिंडदान सेवा शुरू की है। 23,000 रुपये शुल्क देकर परिवार ऑनलाइन पिंडदान की बुकिंग कर सकते हैं। गया जी के विष्णुपद मंदिर, अक्षयवट और फल्गु नदी के तट पर पुजारी विधि-विधान के अनुसार, मंत्रोच्चारण, अर्पण और अनुष्ठान कराएंगे। पूरा कार्यक्रम रिकॉर्ड कर श्रद्धालु को पेन ड्राइव में उपलब्ध कराया जाएगा। इस तरह वे घर बैठे अपने पूर्वजों के प्रति श्रद्धा प्रकट कर पाएंगे।

जो लोग स्वयं गया जी पहुँचकर अनुष्ठान करना चाहते हैं, उनके लिए बीएसटीडीसी ने पाँच अलग-अलग विशेष टूर पैकेज लॉन्च किए हैं। इनमें पटना-पुनपुन-गया जी की एक दिन की यात्रा से लेकर नालंदा, राजगीर, बोधगया और गया जी जैसे प्रमुख धार्मिक और ऐतिहासिक स्थलों को कवर करने वाले लंबे पैकेज शामिल हैं।

इन पैकेज की शुरुआती कीमत 13,450 रुपये तय की गई है। यात्रियों के लिए थ्री-स्टार होटल और रिसॉर्ट की सुविधा भी उपलब्ध कराई जाएगी ताकि उन्हें किसी प्रकार की असुविधा न हो।

बीएसटीडीसी ने श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए ऑनलाइन बुकिंग का प्रावधान किया है। इच्छुक यात्री bstdc.bihar.gov.in पर जाकर अपने पैकेज या इ-पिंडदान सेवा की बुकिंग कर सकते हैं। 

पितृपक्ष मेला न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है बल्कि यह बिहार के पर्यटन और सांस्कृतिक धरोहर को भी प्रदर्शित करता है। गया जी की फल्गु नदी, विष्णुपद मंदिर और अक्षयवट जैसे स्थल श्रद्धालुओं के लिए आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करता है। वहीं नालंदा और राजगीर जैसे ऐतिहासिक स्थल यात्रियों को बिहार की गौरवशाली परंपरा से रूबरू कराता है।

इस बार का पितृपक्ष मेला आस्था और आधुनिकता का अनूठा संगम बनने जा रहा है। इ-पिंडदान सेवा ने परंपरा को तकनीक से जोड़ दिया है, वहीं विशेष यात्रा पैकेज श्रद्धालुओं को सुविधा और धार्मिक यात्रा का नया अनुभव देगा। 



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