अलास्का शिखर वार्ता में दुनिया की निगाहें अमेरिका और रूस के नेताओं पर थीं, लेकिन अमेरिकी वायुसेना ने अपनी ताक़त का ऐसा प्रदर्शन किया कि आसमान भी कांप उठा। ट्रंप और पुतिन की मुलाक़ात के बीच B-2 बॉम्बर और F-35 फाइटर जेट्स ने ऊपर से गरजते हुए उड़ान भरी, मानो अमेरिका यह संदेश दे रहा हो कि सैन्य शक्ति के मामले में वह अब भी अजेय है। आसमान की इस गड़गड़ाहट ने माहौल को रोमांचक बना दिया, लेकिन ज़मीन पर तस्वीर वही पुरानी रही। पुतिन अपने रुख़ पर अडिग रहे, उन्होंने न तो यूक्रेन युद्ध को लेकर कोई नरमी दिखाई और न ही सीजफायर का कोई संकेत दिया। ट्रंप ने इसे “उत्पादक बैठक” बताया, मगर यह उत्पादकता केवल शब्दों तक सीमित रही। दोनों नेता एक ही कार में बैठे, हंसी-मज़ाक भी हुआ, लेकिन इस गर्मजोशी का असर युद्ध के मोर्चे पर बिल्कुल नहीं दिखा। अमेरिका का यह शक्ति प्रदर्शन एक तरह से दबाव की रणनीति थी, लेकिन पुतिन पर इसका कोई असर नहीं पड़ा। अलास्का की ठंडी हवाओं में जब फाइटर जेट्स की गड़गड़ाहट गूंजी, तो यह साफ़ हो गया कि यह मुलाक़ात भी इतिहास के उन पन्नों में दर्ज होगी जहाँ दिखावा ज्यादा और परिणाम कम हुए।
