भारत ने ट्रंप की टैरिफ धमकी पर दिया करारा जवाब: रूस से तेल खरीद को बताया राष्ट्रीय ज़रूरत

Jitendra Kumar Sinha
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डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर टैरिफ बढ़ाने की धमकी देने के बाद भारत सरकार ने कड़ा रुख अपनाया है। ट्रंप ने आरोप लगाया कि भारत रूस से सस्ता कच्चा तेल खरीदकर उसे वैश्विक बाजार में ऊंचे दामों पर बेच रहा है, जिससे अमेरिका के हित प्रभावित हो रहे हैं। ट्रंप ने यह भी कहा कि वह राष्ट्रपति बनने के बाद भारत पर भारी टैरिफ लगाएंगे और भारत को इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी। उनके अनुसार भारत को रूस से तेल खरीदने की कोई जरूरत नहीं है और यह नैतिक रूप से भी गलत है क्योंकि रूस युद्ध कर रहा है।


भारत ने इस बयान को "अनुचित और अनुचित रूप से पक्षपाती" करार देते हुए साफ कहा है कि वह अपनी ऊर्जा ज़रूरतों को पूरा करने के लिए सस्ता और स्थिर स्रोत खोज रहा है और यह पूरी तरह से एक स्वतंत्र और वैध व्यापारिक निर्णय है। विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि भारत ने कभी भी रूस के युद्ध का समर्थन नहीं किया है और हमेशा शांति की वकालत की है। रूस से तेल खरीद केवल आर्थिक मजबूरी और वैश्विक ऊर्जा असंतुलन की प्रतिक्रिया है, जो यूक्रेन युद्ध के बाद और भी बढ़ गई थी।


भारत ने यह भी बताया कि अमेरिका और यूरोप खुद भी रूस से विभिन्न उत्पादों का आयात कर रहे हैं। यूरोपीय संघ ने 2024 में रूस से लगभग 67.5 अरब यूरो का द्विपक्षीय व्यापार किया है, जिसमें ऊर्जा और औद्योगिक सामान शामिल हैं। अमेरिका भी अब तक रूस से यूरेनियम और अन्य कच्चे माल मंगवा रहा है। भारत ने पूछा कि अगर ये देश ऐसा कर सकते हैं तो भारत को ही क्यों निशाना बनाया जा रहा है। यह दोहरी नीति है जिसे भारत स्वीकार नहीं करेगा।


सरकार ने जोर देकर कहा कि वह अपने नागरिकों को सस्ती ऊर्जा उपलब्ध कराना अपनी प्राथमिक जिम्मेदारी मानती है और इसके लिए हर वैध विकल्प का उपयोग करेगी। रूस से तेल खरीद ने भारत को मुद्रास्फीति नियंत्रण और आर्थिक स्थिरता में मदद की है। भारत ने अपने निर्णय को न केवल आर्थिक बल्कि रणनीतिक दृष्टिकोण से भी सही बताया।


इस पूरे घटनाक्रम के बीच भारत ने यह भी संकेत दिया है कि वह अमेरिका के साथ व्यापारिक और कूटनीतिक संबंध मजबूत बनाए रखना चाहता है, लेकिन किसी भी तरह के दबाव में आकर अपनी स्वतंत्र नीतियों से समझौता नहीं करेगा। भारत ने दो टूक कहा है कि उसकी विदेश नीति भारतीय हितों पर आधारित है, किसी अन्य देश की अपेक्षाओं पर नहीं। ट्रंप की धमकियों को भारत ने संप्रभुता के खिलाफ हस्तक्षेप माना है और वैश्विक मंच पर इस मुद्दे को उचित समय पर उठाने की बात भी कही है।

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