रूस-अमेरिका तनाव बढ़ा: परमाणु पनडुब्बियाँ बनीं टकराव का केंद्र

Jitendra Kumar Sinha
0

 



रूस और अमेरिका के बीच जारी तनाव एक बार फिर उबाल पर है। हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस की ओर बढ़ते परमाणु खतरे के मद्देनज़र दो अमेरिकी परमाणु पनडुब्बियों को रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्रों में तैनात करने का आदेश दिया। इस फैसले के बाद से दोनों देशों के बीच बयानबाजी और आशंका का नया दौर शुरू हो गया है।


इस पर प्रतिक्रिया देते हुए रूसी सांसद विक्टर वोदोलात्सकी ने कहा कि अमेरिका की परमाणु पनडुब्बियाँ पहले से ही रूस की निगरानी में हैं और वो रूस के लक्ष्यों की सूची में शामिल हैं। उन्होंने कहा कि रूस को तुरंत जवाब देने की ज़रूरत नहीं है, क्योंकि उनकी सेना पहले से सतर्क है। साथ ही उन्होंने ज़ोर दिया कि अमेरिका और रूस के बीच एक ठोस समझौता होना चाहिए ताकि तीसरे विश्व युद्ध जैसी संभावनाओं से दुनिया को बचाया जा सके।


डोनाल्ड ट्रंप ने इस कदम को रूस के पूर्व राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव के भड़काऊ बयानों का जवाब बताया। ट्रंप ने कहा कि रूस की ओर से परमाणु हमले की धमकियों को हल्के में नहीं लिया जा सकता, इसलिए अमेरिकी सुरक्षा बलों को पूरी तरह सतर्क और तैयार रहना होगा। हालांकि, ट्रंप ने यह भी स्पष्ट किया कि यह कदम सिर्फ एक एहतियात है, न कि युद्ध की मंशा।


इस घटनाक्रम के बाद पेंटागन की ओर से कोई विस्तृत जानकारी नहीं दी गई, सिर्फ इतना कहा गया कि राष्ट्रपति के निर्देशों पर काम हो रहा है और आगे की जानकारी व्हाइट हाउस द्वारा साझा की जाएगी।


विशेषज्ञ मानते हैं कि यह तैनाती एक राजनीतिक संदेश है, जो यह दिखाने के लिए है कि अमेरिका किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयार है। यह सैन्य कार्रवाई से ज़्यादा ‘रणनीतिक इशारा’ (strategic signaling) है, ताकि रूस को यह संदेश मिले कि अमेरिका अपने हितों और सहयोगियों की रक्षा को लेकर पूरी तरह गंभीर है।


वर्तमान में रूस के पास लगभग 12 परमाणु-सक्षम पनडुब्बियाँ हैं, जबकि अमेरिका के पास 14 ओहायो-क्लास रणनीतिक पनडुब्बियाँ हैं। दोनों देशों के पास परमाणु शक्ति से लैस ऐसे हथियार हैं, जो दुनिया को मिनटों में तबाह कर सकते हैं। ऐसे में यह बयानबाज़ी और सैन्य मूवमेंट पूरी दुनिया के लिए चिंता का विषय बनता जा रहा है।


विश्लेषकों की राय में, अगर जल्द कोई कूटनीतिक रास्ता नहीं निकाला गया, तो यह तनाव दुनिया को एक नई ठंडी जंग या उससे भी बड़ी त्रासदी की ओर धकेल सकता है। अभी ज़रूरत इस बात की है कि दोनों देश बातचीत और समझदारी से आगे बढ़ें, न कि धमकियों और हथियारों की नोक पर।

एक टिप्पणी भेजें

0टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें (0)

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn More
Ok, Go it!
To Top