तेज प्रताप यादव का आरोप, RJD में मौजूद ‘जयचंद’ से सावधान रहने की नसीहत

Jitendra Kumar Sinha
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तेज प्रताप यादव ने एक बार फिर अपनी ही पार्टी आरजेडी और उसमें मौजूद लोगों पर खुलकर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि पार्टी में ऐसे लोग मौजूद हैं जो जयचंद की तरह गद्दारी कर रहे हैं और उनकी राजनीति को खत्म करने की साजिश रच रहे हैं। तेज प्रताप ने अपने छोटे भाई और पार्टी के नेता तेजस्वी यादव को भी चेतावनी देते हुए कहा कि उन्हें इन विश्वासघातियों से सावधान रहना चाहिए, क्योंकि ये लोग चुनाव के समय गड़बड़ी कर सकते हैं।


उन्होंने सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर किया जिसमें कथित तौर पर आरजेडी के एक विधायक का ड्राइवर पिटता हुआ दिख रहा है। इस वीडियो को साझा करते हुए तेज प्रताप ने लिखा कि लोकतंत्र बचाने का नारा देने वाली यह यात्रा लोकतंत्र को बचा रही है या फिर उसे नष्ट कर रही है? उन्होंने कहा कि ऐसे शर्मनाक घटनाओं से पार्टी और उसके कार्यकर्ताओं की छवि खराब होती है।


तेज प्रताप ने साफ कहा कि चाहे विरोध कितना भी बड़ा क्यों न हो, वे पीछे हटने वाले नहीं हैं और पहले से भी ज्यादा ताकतवर होकर राजनीति में वापसी करेंगे। उन्होंने दावा किया कि वे पांच छोटे राजनीतिक दलों के साथ गठबंधन करके आगामी बिहार विधानसभा चुनाव लड़ेंगे। इस बयान के बाद यह अटकलें और तेज हो गई हैं कि आरजेडी में भीतरखाने खींचतान और गुटबाज़ी बढ़ रही है।


तेज प्रताप पहले भी कई बार अपनी ही पार्टी और नेतृत्व पर सवाल उठाते रहे हैं। कभी तेजस्वी यादव की कार्यशैली पर अप्रत्यक्ष निशाना साधना, कभी संगठन में उपेक्षा का आरोप लगाना और कभी पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच अपनी अलग पहचान बनाने की कोशिश करना—ये सब उनकी राजनीति का हिस्सा बन चुका है। इस बार भी उनका बयान चुनावी साल में आरजेडी के लिए सिरदर्द साबित हो सकता है, क्योंकि विपक्ष और सत्तारूढ़ दल ऐसे बयानों को हथियार बनाकर पार्टी की एकता पर सवाल खड़े कर सकते हैं।


इस पूरे घटनाक्रम से साफ है कि तेज प्रताप अपनी राजनीतिक राह को तेजस्वी यादव और आरजेडी से अलग दिखाना चाहते हैं। वे खुद को उपेक्षित महसूस करते हैं और यही कारण है कि अब वे क्षेत्रीय दलों के साथ गठबंधन बनाकर अपनी ताकत दिखाने की रणनीति अपना रहे हैं। हालांकि, आरजेडी के भीतर बहुत से लोग मानते हैं कि तेज प्रताप का यह तेवर पार्टी को कमजोर करेगा और इसका सीधा असर चुनावी नतीजों पर पड़ सकता है।


कुल मिलाकर, तेज प्रताप यादव का यह बयान सिर्फ उनकी नाराज़गी नहीं बल्कि एक बड़ा राजनीतिक संदेश है—कि वे अब पार्टी में दरकिनार किए जाने को स्वीकार करने वाले नहीं हैं और यदि ज़रूरत पड़ी तो अलग राह भी चुन सकते हैं। यह कदम बिहार की राजनीति में आरजेडी की स्थिति को हिला सकता है और चुनावी समीकरणों में बड़ा बदलाव ला सकता है।

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