अमेरिका ने भारत के खिलाफ उस समय एक बड़ा आर्थिक मोदी लिया जब उसने रूस से तेल खरीद जारी रखा, जिसके चलते व्यापार तनाव चरम पर पहुंच गए। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत से आयातित वस्तुओं पर पहले 25% और फिर अतिरिक्त 25% की शुल्क दरें बढ़ाकर कुल मिलाकर 50% टैक्स लगा दिया, उसे "असाधारण और असामान्य धमकी" करार देते हुए यह कदम उठाया गया।
जब इस पूरे मामले में उनसे पूछा गया कि क्या शुल्क विवाद हल होने तक भारत के साथ कोई व्यापारिक वार्ता होगी, तो ट्रंप ने साफ शब्दों में कहा—“नहीं, तब तक नहीं जब तक मुद्दा हल नहीं हो जाता”।
पीएम नरेंद्र मोदी ने पूरी दृढ़ता के साथ प्रतिक्रिया दी कि भारत अपनी कृषि, मत्स्यपालक और डेयरी हिटों की रक्षा करने से पीछे नहीं हिलेगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत "भाभल-किसानों के हितों से कभी समझौता नहीं करेगा" और कहा, "मुझे भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है, पर मैं तैयार हूँ"।
यह झमेला उस समय हुआ जब व्यापार वार्ता चारों तरफ सकारात्मक दिख रही थी और दोनों देशों ने 2030 तक $500 बिलियन के द्विपक्षीय व्यापार लक्ष्य पर बात की थी। पर तेल की खरीद और बाजार-प्रवेश को लेकर बातचीत पिछली राह पर फिसल गई—अमेरिका अपनी कृषि और डेयरी मांगों पर अड़ा रहा, और भारत ने सांविधिक प्रतिबंधों से अपनी मछली पकड़ने और कृषि आधारित आजीविका को खतरे में नहीं डालने की बात कही।
