भोजपुरी सिनेमा को अक्सर एक ही प्रकार की फिल्मों और उनके मसालेदार कंटेंट के लिए जाना जाता रहा है। लेकिन हाल के वर्षों में कुछ फिल्मकार इस धारणा को बदलने की कोशिश कर रहे हैं। निर्देशक रजनीश मिश्रा की फिल्म ‘आपन कहाये वाला के बा’ इसी दिशा में एक सशक्त कदम है। यह फिल्म पारिवारिक मूल्यों, रिश्तों की अहमियत और सामाजिक संदेश से भरपूर है।
फिल्म की मूल कहानी टूटते परिवार को फिर से जोड़ने और रिश्तों को सहेजने के इर्द-गिर्द घूमती है। आज के बदलते दौर में संयुक्त परिवारों का स्वरूप बिखर रहा है और रिश्तों में स्वार्थ हावी हो रहा है। ऐसे समय में ‘आपन कहाये वाला के बा’ दर्शकों को याद दिलाता है कि परिवार ही इंसान की सबसे बड़ी ताकत और पहचान है।
भोजपुरी फिल्मों में गीत-संगीत की अहम भूमिका रही है। इस फिल्म के गीतों को ‘मनोज भावुक’ ने लिखा है, जो भावनाओं को बड़ी खूबसूरती से पिरोते हैं। गानों में न केवल लोकधुनों की मिठास है बल्कि जीवन के गहरे संदेश भी छिपे हैं। यही वजह है कि फिल्म का संगीत दर्शकों को लंबे समय तक याद रहता है।
फिल्म में अवधेश मिश्रा, अंजना सिंह, देव सिंह और माया यादव जैसे अनुभवी कलाकार हैं। सभी ने अपने किरदारों को जीवंत बना दिया है। खासकर अवधेश मिश्रा का अभिनय दर्शकों को गहरी छाप छोड़ता है। फिल्म के संवाद भी दिल को छूने वाला है। ‘हम गहना पहिन के का करब जब जेठ जी के पगड़ी उतर जाई’ जैसे डायलॉग सीधे दिल में उतर जाता है और पुराने दौर की नजीर हुसैन की फिल्मों की याद ताजा कर देता है।
भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री को अक्सर आलोचनाओं का सामना करना पड़ा है, खासकर अश्लीलता और एकरूपता के आरोपों को लेकर। लेकिन ‘आपन कहाये वाला के बा’ जैसी फिल्म इस छवि को बदलने का प्रयास करती हैं। यह साबित करती है कि भोजपुरी सिनेमा भी परिवार के साथ बैठकर देखने योग्य सशक्त और सकारात्मक संदेश देने वाली फिल्में बना सकता है।
फिल्म केवल मनोरंजन तक सीमित नहीं रहती है, बल्कि यह दर्शकों को सोचने पर मजबूर करती है। इसमें दिखाया गया है कि परिवार टूटने पर व्यक्ति का जीवन अधूरा हो जाता है, जबकि मिलजुलकर रहने से हर मुश्किल आसान हो जाता है। यह संदेश आज के समाज में बेहद प्रासंगिक है।
‘आपन कहाये वाला के बा’ केवल एक फिल्म नहीं है बल्कि भोजपुरी समाज के लिए एक आईना है। यह रिश्तों की अहमियत, परिवार की मजबूती और आपसी सहयोग का महत्व उजागर करती है। निर्देशक रजनीश मिश्रा ने जिस संवेदनशीलता के साथ इस फिल्म को बनाया है, वह सराहनीय है।
भोजपुरी सिनेमा को अगर नई दिशा देनी है तो इस तरह की फिल्में लगातार आती रहनी चाहिए। ऐसी फिल्मों से न केवल भोजपुरी इंडस्ट्री की छवि सुधरेगी बल्कि यह दर्शकों को भी पारिवारिक और सामाजिक मूल्यों से जोड़ने में मदद करेगी।
