बिहार में स्वास्थ्य सेवाओं की दिशा और दशा को बदलने का कार्य “आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन” (एबीडीएम) कर रहा है। राज्य के 12,600 से अधिक अस्पताल और क्लीनिक इस मिशन से जुड़ चुके हैं। इसका सीधा लाभ मरीजों और डॉक्टरों दोनों को मिल रहा है।
एबीडीएम का मुख्य उद्देश्य मरीजों को एक ‘यूनिक हेल्थ आईडी’ उपलब्ध कराना है। इस आईडी के माध्यम से हर मरीज का मेडिकल रिकॉर्ड डिजिटल रूप में सुरक्षित रहता है। चाहे मरीज किसी भी जिला या अस्पताल में इलाज कराने पहुँचे, डॉक्टर उसके पुराने रिकॉर्ड, जांच रिपोर्ट और दवाओं की जानकारी तत्काल देख सकते हैं। इससे मरीज को बार-बार एक ही टेस्ट करवाने की परेशानी से मुक्ति मिलती है और इलाज की प्रक्रिया तेज हो जाती है।
बिहार में इस मिशन का सबसे बड़ा असर ‘ओपीडी सेवाओं’ पर देखा गया है। पहले मरीजों को अस्पताल में डॉक्टर से मिलने के लिए औसतन 70 मिनट तक प्रतीक्षा करनी पड़ती थी। लेकिन डिजिटल व्यवस्था लागू होने के बाद यह समय घटकर लगभग 35 मिनट रह गया है। यह सुधार न केवल मरीजों के लिए राहतभरा है, बल्कि अस्पताल प्रशासन की कार्यप्रणाली को भी अधिक प्रभावी बना रहा है।
अब राज्य के 92 प्रतिशत से अधिक ओपीडी सेवाएं पूरी तरह पेपरलेस हो चुका है। मरीज की रिपोर्ट, प्रिस्क्रिप्शन और दवा संबंधी जानकारी डिजिटल रूप में ही सुरक्षित रहती है। इससे जहां पर्यावरण को लाभ मिल रहा है, वहीं अस्पतालों का कागजी काम भी कम हो गया है।
स्वास्थ्य सुरक्षा समिति के मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी शशांक शेखर सिन्हा के अनुसार, बिहार में हर साल लगभग तीन करोड़ मरीजों का इलाज एबीडीएम के माध्यम से हो रहा है। इतनी बड़ी संख्या यह दर्शाता है कि यह मिशन स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में व्यापक बदलाव ला रहा है।
मरीजों के लिए लाभ है बार-बार जांच कराने की जरूरत नहीं पड़ती। कम प्रतीक्षा करना पड़ता है। पूरे राज्य में कहीं भी इलाज की सुविधा है। डॉक्टरों के लिए लाभ है कि पुराने मेडिकल रिकॉर्ड तक त्वरित पहुंच जाना। सटीक और प्रभावी इलाज करना। समय और संसाधनों की बचत होना।
बिहार में एबीडीएम की सफलता यह साबित करती है कि यदि डिजिटल तकनीक का सही उपयोग किया जाए तो स्वास्थ्य सेवाओं को और अधिक सुलभ और पारदर्शी बनाया जा सकता है। आने वाले समय में इस मिशन को और विस्तार देकर इसे हर गांव और छोटे स्वास्थ्य केंद्र तक पहुंचाना आवश्यक होगा।
आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन ने बिहार में स्वास्थ्य सेवाओं को नई दिशा दी है। मरीजों का इलाज आसान, तेज और अधिक पारदर्शी हुआ है। प्रतीक्षा समय घटा है और लाखों मरीजों को हर साल राहत मिल रही है। यह कहना गलत नहीं होगा कि डिजिटल क्रांति ने स्वास्थ्य क्षेत्र में एक नई उम्मीद की किरण जगाई है।
