बीस मुखी rudraksh

Jitendra Kumar Sinha
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आभा सिन्हा, पटना

भारतीय आध्यात्मिक परंपरा में रुद्राक्ष का विशेष स्थान है। यह कोई साधारण बीज नहीं है, अपितु शिव का नेत्र है, एक ऐसा चमत्कारी तत्त्व जो आत्मा को परमात्मा से जोड़ने का मार्ग प्रशस्त करता है। रुद्राक्ष की विभिन्न मुखियों में अलग-अलग देवताओं, शक्तियों और ब्रह्मांडीय ऊर्जाओं का वास माना जाता है। इन्हीं में से एक है बीस मुखी रुद्राक्ष, जिसे अत्यंत दुर्लभ, दिव्य और अद्भुत शक्तियों से युक्त माना जाता है।

बीस मुखी रुद्राक्ष (20 Mukhi Rudraksha) वह रुद्राक्ष है जिसके प्राकृतिक रूप से बीज पर 20 मुख या रेखाएं होती हैं। यह न सिर्फ देखने में अद्वितीय होता है, बल्कि आध्यात्मिक उन्नयन, मानसिक शुद्धि, कर्म शुद्धि और ब्रह्मा तत्व की प्राप्ति का माध्यम भी है। इसकी उत्पत्ति नेपाल, इंडोनेशिया और कुछ दुर्लभ रूप से भारत के हिमालयी क्षेत्रों में होता है।

बीस मुखी रुद्राक्ष को भगवान ब्रह्मा, सृष्टिकर्ता देवता का प्रतीक माना जाता है। यह न केवल सृष्टि के ज्ञान का प्रतीक है, बल्कि विज्ञान, वास्तु, वेद, पुराण और आयुर्वेद जैसे विषयों में पारंगत होने का माध्यम भी माना जाता है। इसके भीतर विद्यमान ऊर्जा चेतना को परब्रह्म तत्व का रूप कहा गया है।

पौराणिक शास्त्रों के अनुसार, बीस मुखी रुद्राक्ष धारण करने से व्यक्ति को चतुरमुख ब्रह्मा का कृपा मिलता है। तंत्रशास्त्र में, इसे ब्रह्मांड की बीस मूल शक्तियों का धारक बताया गया है। यह रुद्राक्ष प्रायः उन साधकों को प्राप्त होता है जो दिव्य साधनाओं के उच्च स्तर पर पहुंच चुके होते हैं।

बीस मुखी रुद्राक्ष के मुख्य देवता भगवान ब्रह्मा हैं, शक्ति रूप है सृष्टि, ज्ञान और निर्माण, तांत्रिक प्रतीक है बीस सिद्धियां और बीस विद्याएं, नक्षत्र संगति है पुष्य, रोहिणी और मृगशिरा,  इन जातकों के लिए लाभकारी होता है।

बीस मुखी रुद्राक्ष धारण करने से वेद, पुराण, उपनिषद् तथा धर्मशास्त्रों का सहज ज्ञान प्राप्त होता है। यह रुद्राक्ष ध्यान, समाधि और साधना को सरल बनाता है। यह कर्मों को शुद्ध करता है, जिससे जन्म-जन्मांतर की वासनाएं शांत होती हैं। बीस मुखी रुद्राक्ष से मंत्रों की सिद्धि शीघ्र होती है। साधक को उच्चतर ऊर्जा के साथ जोड़ता है।

बीस मुखी रुद्राक्ष धारण करने से स्मरण शक्ति, एकाग्रता और मानसिक संतुलन बढ़ता है। यह चिंता, अवसाद, बेचैनी जैसी मानसिक समस्याओं को शांत करता है। विशेषकर सहस्त्रार (सिर) और आज्ञा चक्र (भृकुटि) को जाग्रत करता है। अध्यात्मिक कंपन शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बल देता है।

बीस मुखी रुद्राक्ष व्यापारी वर्ग के लिए यह शुभ होता है। ब्रह्मा की कृपा से घर, वाहन, भूमि आदि की प्राप्ति होता है। नेतृत्व और निर्णायक शक्ति बढ़ता है। उच्च शिक्षा और अनुसंधान के क्षेत्र में सफलता मिलता है। मंत्र: - बीज मंत्र: ॐ ह्रीं हौं नमः वैदिक मंत्र: ॐ ब्रह्मणे नमः।

बीस मुखी रुद्राक्ष को सोमवार या पूर्णिमा के दिन स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करने के बाद, भगवान शिव का अभिषेक कर, रुद्राक्ष को गंगाजल से शुद्ध कर, मंत्र जप कर धारण करने के बाद इसे सोने, चांदी या पंचधातु की माला में गले में या हाथ में धारण करना श्रेष्कर होता है। 

नकली बीस मुखी रुद्राक्ष से बचने के लिए सर्टिफिकेट अनिवार्य रूप से लेना चाहिए। रुद्राक्ष अपवित्र हो इसके लिए मांस, मद्य, अपवित्रता से दूर रखना चाहिए। रात्रि को रुद्राक्ष उतार कर ताम्र पात्र में गंगाजल में रखना चाहिए। स्त्रियाँ मासिक धर्म के समय इसे न धारण करें। यदि पूजा छोड़ें तो रुद्राक्ष को शिवलिंग के पास स्थापित कर देना चाहिए। 

बीस मुखी रुद्राक्ष अत्यंत दुर्लभ रुद्राक्ष है और विशेष रूप से नेपाल और जावा से प्राप्त होता है। बाजार में इसकी कीमत ₹75,000 से ₹5,00,000 तक हो सकता है, इसकी गुणवत्ता और प्रमाणिकता पर निर्भर करता है। प्रामाणिक रुद्राक्ष संस्थानों से ही इसे प्राप्त करना चाहिए, जैसे—"गंगोत्री रुद्राक्ष केंद्र", "नीलकंठ रुद्राक्ष भंडार" आदि।

बीस मुखी रुद्राक्ष को साधक और योगी- उन्नत ध्यान, ब्रह्मज्ञान की प्राप्ति के लिए, विद्यार्थी- स्मरण शक्ति, परीक्षा में सफलता के लिए, व्यापारी- व्यवसाय में वृद्धि के लिए, शोधकर्ता- अनुसंधान में नवोन्मेष के लिए, नेता/प्रशासक- निर्णायकता, नेतृत्व कौशलके लिए धारण करना चाहिए।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण से, रुद्राक्ष बीज में मौजूद इलेक्ट्रोमैग्नेटिक ऊर्जा और उसकी कंपनशीलता मस्तिष्क की तरंगों के साथ सामंजस्य बनाकर मानसिक स्थिति को संतुलित करता है। विशेषकर बीस मुखी रुद्राक्ष से निकलने वाली ऊर्जा मस्तिष्क के दोनों गोलार्द्धों (Left & Right Hemispheres) को संतुलित करता है।

योगगुरु परमहंस योगानंद ने बीस मुखी रुद्राक्ष को ब्रह्मज्ञान का द्वार बताया है। तिब्बती बौद्ध गुरु पद्मसंभव इसे मंत्रों के उच्चारण हेतु सर्वोत्तम मानते थे। आधुनिक काल में कई विद्वान और ध्यान-प्रवृत्त व्यक्ति इसे उच्चतम साधना हेतु धारण करते हैं।

बीस मुखी रुद्राक्ष एक ऐसा दिव्य बीज है जो केवल भाग्यशाली और योग्य साधकों को प्राप्त होता है। यह सिर्फ एक आभूषण नहीं है, बल्कि एक जागृत ऊर्जा केंद्र है। इसके प्रभाव से जीवन में आध्यात्मिक, मानसिक और भौतिक तीनों स्तरों पर जागरण होता है। यह रुद्राक्ष ब्रह्मा की चेतना को, शिव की कृपा से, साधक तक पहुँचाने वाला एक सेतु है।



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