तारामंडल के एस्ट्रोपार्क में लगेगी आधुनिक धूपघड़ी - ‘इंटरैक्टिव सनडायल’

Jitendra Kumar Sinha
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पटना का तारामंडल आने वाले दिनों में और भी आकर्षक होने वाला है। आयकर गोलंबर स्थित तारामंडल परिसर में बन रहे “एस्ट्रोपार्क” में जल्द ही दो खास और अनोखी “धूपघड़ियां” लगने जा रही हैं, जो विज्ञान प्रेमियों और बच्चों के लिए रोचक अनुभव लेकर आयेगी। श्रीकृष्ण विज्ञान केंद्र द्वारा तैयार की जा रही ये “धूपघड़ियां” न सिर्फ समय बताने का काम करेगी, बल्कि सूर्य, पृथ्वी और खगोलीय घटनाओं के गहरे संबंधों को समझने का एक अनूठा अवसर भी देगी।

श्रीकृष्ण विज्ञान केंद्र के शिक्षा अधिकारी विश्वनाथ गुप्ता के अनुसार, एस्ट्रोपार्क में लगने वाली पहली धूपघड़ी होगी “वर्टिकल सनडायल”। इसे किसी दीवार पर लगाया जाता है। इसमें एक खास रॉड जैसी संरचना होती है जिसे ‘ग्नोमोन’ कहते हैं। यह ‘ग्नोमोन’ पृथ्वी की धुरी के समानांतर रहता है और जब सूर्य की किरणें उस पर पड़ती हैं, तो उसकी छाया घड़ी पर पड़कर सटीक समय बताती है। यह घड़ी पारंपरिक धूपघड़ी का आधुनिक रूप है। इसकी मदद से न केवल समय जाना जा सकेगा, बल्कि यह सूर्य के वार्षिक और मौसमी बदलाव को भी समझने में सहायक होगी।

दूसरी धूपघड़ी और भी रोमांचक है  ‘इंटरैक्टिव सनडायल’। इसका डिजाइन ऐसा है कि यह उपयोगकर्ता के साथ संवाद करती है। इसमें मानव धूपघड़ी भी होगी, जहां खड़े होने वाले व्यक्ति की अपनी छाया समय बताएगी। यानि खुद इस घड़ी का हिस्सा बन जाएंगे और अपनी छाया को देखकर पता लगा सकेंगे कि अभी कितने बजे हैं। यह बच्चों और पर्यटकों के लिए खास आकर्षण का केंद्र बनेगी और उन्हें व्यावहारिक रूप से खगोलीय विज्ञान से जोड़ने में मदद करेगी।

एस्ट्रोपार्क में सिर्फ भौतिक धूपघड़ियां ही नहीं होंगी, बल्कि ‘वर्चुअल सनडायल’ भी लगाई जाएगी। इसे कंप्यूटर या मोबाइल पर देखा जा सकेगा। यह वास्तविक समय में सूर्य की स्थिति के अनुसार समय बताएगी। इस तरह तकनीक और परंपरा का अनूठा संगम एक ही जगह देखने को मिलेगा।

इन धूपघड़ियों के लगने से तारामंडल आने वाले आगंतुकों को, यह समझने में मदद मिलेगी कि प्राचीन काल में लोग कैसे समय का निर्धारण करते थे। साथ ही, यह भी जान पाएंगे कि सूर्य की स्थिति, ऋतुओं के परिवर्तन और पृथ्वी की धुरी का समय पर क्या प्रभाव पड़ता है। विज्ञान को रोचक और अनुभवात्मक बनाने की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम है।

पटना का एस्ट्रोपार्क जल्द ही विज्ञान प्रेमियों के लिए एक ऐसा केंद्र बन जाएगा जहां वे अपनी छाया से समय जानने का अद्भुत अनुभव कर सकेंगे। यह बच्चों में विज्ञान के प्रति जिज्ञासा बढ़ाएगा और आम लोगों को खगोल विज्ञान के करीब लाएगा।



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