कैंसर एक ऐसा शब्द है जिसे सुनते ही मन में डर, चिंता और अनिश्चितता घर कर जाती है। वर्षों से विज्ञान और चिकित्सा के क्षेत्र में कैंसर के इलाज को लेकर शोध हो रहा है, लेकिन यह बीमारी अभी भी दुनिया में मृत्यु का एक बड़ा कारण बनी हुई है। ऐसे में रूस से मिली खबर ने दुनिया भर के वैज्ञानिकों, डॉक्टरों और मरीजों को नई उम्मीद दी है। रूस की फेडरल मेडिकल एंड बायोलॉजिकल एजेंसी (एफएमबीए) ने घोषणा की है कि बड़ी आंत के कैंसर (कोलन कैंसर) के लिए बनाई गई वैक्सीन प्रीक्लिनिकल ट्रायल में पूरी तरह सफल रही है।
कैंसर शरीर की उन बीमारियों में से एक है जो सबसे जटिल और घातक माना जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, हर साल करोड़ों लोग किसी न किसी प्रकार के कैंसर से पीड़ित होते हैं। बड़ी आंत का कैंसर (कोलोरेक्टल कैंसर) दुनिया में तीसरा सबसे आम कैंसर है और कैंसर से होने वाली मौतों का दूसरा सबसे बड़ा कारण है।
भारत में भी इसकी स्थिति गंभीर है। जीवनशैली में बदलाव, असंतुलित आहार, तनाव और शारीरिक गतिविधियों की कमी के कारण कोलोरेक्टल कैंसर के मामले तेजी से बढ़ रहा है। इसकी सबसे बड़ी चुनौती है समय पर पहचान और प्रभावी इलाज। अक्सर लोग शुरुआती लक्षणों को नजरअंदाज कर देते हैं और बीमारी तब सामने आती है जब यह काफी बढ़ चुका होता है।
रूस की फेडरल मेडिकल एंड बायोलॉजिकल एजेंसी (एफएमबीए) ने हाल ही में ऐलान किया कि उन्होंने बड़ी आंत के कैंसर के लिए एक वैक्सीन विकसित किया है, जो प्रीक्लिनिकल स्टडी में शानदार नतीजा दे चुका है।
तीन साल चले प्रीक्लिनिकल स्टडी में यह साबित हुआ कि यह वैक्सीन बार-बार देने पर भी पूरी तरह सुरक्षित है। ट्यूमर का आकार 60% से 80% तक घटा है यह आंकड़ा कैंसर उपचार में बेहद महत्वपूर्ण है। वैक्सीन ने कैंसर कोशिकाओं के बढ़ने की गति को धीमा कर दिया। जिन पर परीक्षण किया गया, उनकी जीवन प्रत्याशा बढ़ गई। यह नतीजा दुनिया भर के वैज्ञानिक समुदाय के लिए आश्चर्यजनक और उत्साहजनक हैं।
वैक्सीन का मूल उद्देश्य शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली (इम्यून सिस्टम) को इस काबिल बनाना है कि वह कैंसर कोशिकाओं को पहचान सके और उन पर हमला कर सके। कैंसर कोशिकाएं अक्सर शरीर की सामान्य कोशिकाओं की तरह छिप जाती हैं, जिससे इम्यून सिस्टम उन्हें पहचान नहीं पाता।
रूस की यह वैक्सीन इम्यून सिस्टम को प्रशिक्षित करता है कि वह इन कैंसर कोशिकाओं की पहचान कर सके और उसे नष्ट कर दे। वैक्सीन शरीर में ऐसे प्रोटीन डालता है जिन्हें देखकर इम्यून सिस्टम कैंसर कोशिकाओं की पहचान करना सीखता है। वैक्सीन टी-कोशिकाओं को सक्रिय करता है जो कैंसर कोशिकाओं पर सीधे हमला करता है। वैक्सीन के बाद शरीर में ‘मेमोरी सेल’ बनता है जो लंबे समय तक कैंसर की वापसी को रोक सकता है।
कोलोरेक्टल कैंसर के मामले विश्वभर में तेजी से बढ़ रहा है। विश्व स्तर पर हर साल लगभग 20 लाख नए मामले सामने आता है। मृत्यु दर लगभग 10 लाख लोग हर साल इस बीमारी से मरता है। भारत में शहरी क्षेत्रों में यह कैंसर तेजी से फैल रहा है, खासकर 50 साल से ऊपर के लोगों में। यदि इस वैक्सीन को मंजूरी मिल जाता है और यह व्यापक स्तर पर उपलब्ध हो जाता है, तो लाखों लोगों का जान बचाया जा सकता है।
एफएमबीए प्रमुख वेरोनिका स्क्वॉत्सर्सोवा के अनुसार, यह वैक्सीन केवल कोलोरेक्टल कैंसर तक सीमित नहीं है। ग्लियोब्लास्टोमा- यह ब्रेन कैंसर का सबसे आक्रामक रूप है। मेलानोमा- त्वचा और आंख का खतरनाक कैंसर। इन पर भी वैक्सीन आधारित उपचार विकसित किया जा रहा है। इसका अर्थ है कि आने वाले वर्षों में कैंसर का इलाज पारंपरिक कीमोथेरेपी और रेडिएशन से हटकर इम्यूनोथेरेपी और वैकसीनेशन की दिशा में बढ़ेगा।
अभी तक कैंसर के इलाज के लिए मुख्य रूप से सर्जरी, कीमोथेरेपी और रेडिएशन का सहारा लिया जाता है। लेकिन इन तरीकों के कई दुष्प्रभाव होता है, जैसे- बाल झड़ना, उल्टी और मितली आना, थकान होना, प्रतिरक्षा प्रणाली का कमजोर होना। वहीं वैक्सीन का उद्देश्य है शरीर की प्राकृतिक प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करना, ताकि शरीर खुद कैंसर से लड़ सके। इससे साइड इफेक्ट कम होगा, मरीज की जीवन गुणवत्ता बेहतर होगा और इलाज की लागत भी घट सकता है।
यदि यह वैक्सीन आधिकारिक मंजूरी के बाद सफलतापूर्वक बाजार में आता है, तो यह वैश्विक स्वास्थ्य क्षेत्र में क्रांति ला सकता है। महंगे इलाज और अस्पताल में लंबे समय तक भर्ती की जरूरत कम होगी। खासकर उन देशों में जहां कैंसर का इलाज महंगा है। वहाँ कैंसर मृत्यु दर घटेगी। नए शोध को बढ़ावा मिलेगा और अन्य प्रकार के कैंसर के लिए भी वैक्सीन शोध तेज होगा।
भारत में कोलोरेक्टल कैंसर के मामला लगातार बढ़ रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में समय पर जांच और इलाज की कमी के कारण मृत्यु दर अधिक है। यह सस्ती और सुलभ वैक्सीन है। यदि यह वैक्सीन भारत में भी उपलब्ध हो जाता है, तो लाखों लोगों को फायदा होगा। सरकार इसे टीकाकरण अभियान में शामिल कर सकती है। भारत के वैज्ञानिक भी इस दिशा में अपने शोध को और आगे बढ़ा सकता है।
इस वैक्सीन की सफलता यह संकेत देता है कि आने वाला समय कैंसर रोकथाम और इलाज का नया युग लेकर आएगा। हर व्यक्ति के लिए जेनेटिक प्रोफाइल के हिसाब से वैक्सीन बनेगा। ट्यूमर बनने से पहले ही शरीर कैंसर कोशिकाओं को नष्ट कर सकेगा। यह संभव है कि अगले कुछ दशकों में कैंसर उतना डरावना न रहे जितना आज है।
रूस की यह खोज कैंसर उपचार में एक ऐतिहासिक कदम है। यह केवल चिकित्सा विज्ञान की जीत नहीं है, बल्कि करोड़ों मरीजों और उनके परिवारों के लिए नई उम्मीद है।
