दुर्गापूजा और दशहरा पर्व रोशनी, आस्था और उत्साह का प्रतीक है। इन दिनों पूजा पंडालों में आकर्षक सजावट और विद्युत प्रकाश की जगमगाहट लोगों को खींचती है। लेकिन जरा सी लापरवाही बड़ी दुर्घटना का कारण बन सकती है। इसी को ध्यान में रखते हुए जिलाधिकारी डॉ. त्यागराजन एसएम ने सभी अनुमंडल पदाधिकारियों और विद्युत अभियंताओं को स्पष्ट निर्देश दिया है कि आयोजन स्थलों पर विद्युत सुरक्षा मानकों का कड़ाई से पालन कराया जाए।
निर्देशों के अनुसार, पूजा पंडालों में विद्युत कार्य केवल अधिकृत और पंजीकृत विद्युत ठेकेदारों से ही कराया जाएगा। इसके साथ ही वैध विद्युत संयोजन टेस्ट रिपोर्ट प्रस्तुत करना अनिवार्य होगा। यह कदम इसलिए जरूरी है ताकि बिजली कनेक्शन सुरक्षित ढंग से जोड़ा जाए और किसी भी शॉर्ट सर्किट या करंट दुर्घटना से बचा जा सके।
पूरी पूजा अवधि के दौरान पंडालों में एक अनुभवी सुपरवाइजर या लाइनमैन की मौजूदगी अनिवार्य कर दी गई है। उनकी निगरानी में बिजली की आपूर्ति और तकनीकी व्यवस्था पर लगातार नजर रखी जाएगी। इससे आकस्मिक स्थिति में तुरंत सुधारात्मक कदम उठाए जा सकेगा।
निर्देशों में साफ कहा गया है कि पंडाल ट्रांसफॉर्मर, सब-स्टेशन और ओवरहेड विद्युत लाइनों से पर्याप्त दूरी पर स्थापित किया जाय। अक्सर देखा गया है कि जगह की कमी या भीड़ आकर्षित करने की होड़ में पंडालों को संवेदनशील स्थानों के पास खड़ा कर दिया जाता है। यह गंभीर खतरा पैदा कर सकता है। प्रशासन का यह कदम किसी भी अप्रिय घटना से बचने के लिए अहम है।
विद्युत सुरक्षा के लिए एमसीबी (मिनी सर्किट ब्रेकर), फ्यूज, थ्री-पिन प्लग, रबर मैट और फर्स्ट एड बॉक्स की व्यवस्था अनिवार्य की गई है। इसके अलावा खुले तारों को ढंकने और कवरिंग की पूरी व्यवस्था करने के भी निर्देश दिए गए हैं। इन उपायों से न केवल आग लगने की आशंका कम होगी बल्कि करंट लगने जैसी दुर्घटनाओं से भी सुरक्षा सुनिश्चित होगी।
प्रशासन ने यह भी स्पष्ट किया है कि सुरक्षा केवल प्रशासन या बिजली विभाग की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि आयोजकों और आम श्रद्धालुओं को भी सतर्क रहना होगा। आयोजकों को चाहिए कि वे दिए गए मानकों का सख्ती से पालन करें और आम लोग किसी भी अनियमितता की सूचना तुरंत संबंधित अधिकारियों को दें।
