राज्य के सभी जिला में खुलेगा एफएसएल दफ्तर

Jitendra Kumar Sinha
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अपराध की गुत्थियों को सुलझाने में सबसे अहम भूमिका फॉरेंसिक साइंस की होती है। अब बिहार सरकार इस दिशा में बड़ा कदम उठाने जा रही है। राज्य के सभी जिलों में जल्द ही एफएसएल (फॉरेंसिक साइंस लैबोरेट्री) कार्यालय खोले जाएंगे। यह कदम न केवल अपराध जांच की गति को तेज करेगा बल्कि न्याय व्यवस्था को भी सशक्त बनाएगा।

राज्य में केवल चुनिंदा शहरों में ही एफएसएल कार्यालय या चलंत विधि विज्ञान इकाइयां कार्यरत हैं। इनमें पटना, गया, मुजफ्फरपुर, भागलपुर, राजगीर और पूर्णिया शामिल हैं। इन जिलों से ही पूरे राज्य की फॉरेंसिक जरूरतें पूरी करने का प्रयास किया जाता है। नतीजा यह है कि कई बार रिपोर्ट आने में देरी होती है और जांच लंबी खिंच जाती है।

अब सीआइडी की ओर से सभी जिलों में कम से कम एक-एक एफएसएल कार्यालय खोलने की तैयारी तेज कर दी गई है। इससे अपराध स्थल से सबूत इकट्ठा करने और उनकी जांच करने की प्रक्रिया स्थानीय स्तर पर ही संभव हो जाएगी। इसका सीधा फायदा यह होगा कि पुलिस को तुरंत वैज्ञानिक रिपोर्ट मिल सकेगी और अपराधियों तक तेजी से पहुंचा जा सकेगा।

सिर्फ कार्यालय ही नहीं, बल्कि हर जिले में एफएसएल मोबाइल वैन भी उपलब्ध कराई जाएगी। वर्तमान में 17 वैन अलग-अलग जिलों में तैनात हैं, जिनमें पटना, गया, भागलपुर और मुजफ्फरपुर शामिल हैं। अब सरकार ने 34 नई वैन खरीदने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। उम्मीद है कि अक्टूबर 2025 तक यह प्रक्रिया पूरी हो जाएगी। इसके बाद राज्य में कुल 51 वैन मौजूद होगी और हर जिला में कम से कम एक मोबाइल वैन की तैनाती हो जाएगी।

यह मोबाइल वैन अपराध स्थल पर ही प्राथमिक जांच करने में सक्षम होगी। मौके पर ही सबूत इकट्ठा करना, उनका परीक्षण करना और प्रारंभिक रिपोर्ट तैयार करना संभव होगा। इससे न केवल पुलिस की कार्यक्षमता बढ़ेगी बल्कि न्याय प्रक्रिया भी अधिक पारदर्शी और समयबद्ध होगी।

बिहार सरकार का यह निर्णय अपराध जांच व्यवस्था को नई गति और मजबूती देने वाला साबित होगा। एफएसएल का विस्तार पुलिस और न्यायपालिका दोनों के लिए एक बड़ा सहारा बनेगा। आने वाले समय में जब हर जिले में आधुनिक प्रयोगशालाएं और मोबाइल वैन उपलब्ध होंगी, तो अपराधियों के लिए बच निकलना कठिन होगा और आम नागरिकों का कानून-व्यवस्था पर भरोसा और मजबूत होगा।



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