बीपी-शुगर जांच की अनदेखी पर लगेगा “जुर्माना”

Jitendra Kumar Sinha
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बदलती जीवनशैली और बढ़ते कार्यभार के बीच कर्मचारियों का स्वास्थ्य कंपनियों के लिए बड़ी चिंता का विषय बन चुका है। अक्सर देखा जाता है कि बड़ी जिम्मेदारियों में व्यस्त रहने वाले अधिकारी अपनी सेहत की जांच कराने में लापरवाही बरतते हैं, जिसके गंभीर परिणाम सामने आता है। इसी कड़ी में डेलॉइट कंपनी ने एक सख्त और अनोखा कदम उठाया है। कंपनी ने तय किया है कि यदि उसके सीनियर अधिकारी ब्लड प्रेशर, शुगर और अन्य स्वास्थ्य जांच अनिवार्य रूप से नहीं कराते हैं तो उन पर एक लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जाएगा।

डेलॉइट का मानना है कि संगठन के शीर्ष अधिकारी न केवल कंपनी की रीढ़ हैं, बल्कि उनकी कार्यक्षमता और मानसिक स्थिरता सीधे तौर पर पूरे संगठन के प्रगति को प्रभावित करता है। यही कारण है कि अब स्वास्थ्य जांच को केवल व्यक्तिगत जिम्मेदारी न मानकर, पेशेवर दायित्व का हिस्सा भी बनाया जा रहा है।

कंपनी के मुताबिक, उच्च पदों पर बैठे अधिकारी अक्सर तनाव और व्यस्तता के कारण नियमित चेकअप नहीं कराते। यही लापरवाही कई बार अचानक स्वास्थ्य आपातकाल या गंभीर बीमारी का कारण बनती है। इस कदम के जरिए कंपनी चाहती है कि सभी बड़े अधिकारी समय-समय पर अपनी जांच कराएं और अपने स्वास्थ्य को लेकर सतर्क रहें।

डेलॉइट का यह फैसला अकेला उदाहरण नहीं है। हाल के वर्षों में कई बड़ी कंपनियां अपने कर्मचारियों की भलाई और स्वास्थ्य सुरक्षा को लेकर गंभीर हुई हैं। कुछ कंपनियां कर्मचारियों को वार्षिक स्वास्थ्य पैकेज उपलब्ध करा रही हैं, तो कुछ बीमा पॉलिसियों के साथ हेल्थ चेकअप को अनिवार्य कर रही हैं। इसका मकसद है कर्मचारियों में जागरूकता बढ़ाना और स्वस्थ कार्य वातावरण सुनिश्चित करना।

भारत में हृदय रोग, डायबिटीज़ और ब्लड प्रेशर जैसी बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की रिपोर्ट के अनुसार, एशियाई देशों में अस्वस्थ जीवनशैली के कारण युवाओं में भी इन बीमारियों का खतरा बढ़ गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि समय पर जांच और शुरुआती पहचान से न केवल इन रोगों पर नियंत्रण पाया जा सकता है, बल्कि गंभीर परिणामों से भी बचा जा सकता है।

यह निर्णय केवल दंड या अनुशासन से जुड़ा नहीं है, बल्कि इसका सीधा संबंध कर्मचारियों की भलाई से है। जब एक कंपनी अपने वरिष्ठ अधिकारियों से स्वास्थ्य जांच की अपेक्षा करती है, तो यह पूरे संगठन में स्वास्थ्य-संवेदनशील माहौल बनाता है। इससे जूनियर कर्मचारियों को भी प्रेरणा मिलती है कि वे अपनी सेहत की अनदेखी न करें।

डेलॉइट का यह कदम कॉर्पोरेट जगत में एक मिसाल बन सकता है। सेहत को लेकर कठोर नियम भले ही पहले चौंकाने वाले लगें, लेकिन लंबे समय में ये कर्मचारियों और कंपनियों दोनों के लिए फायदेमंद साबित होंगे। यह पहल न केवल कार्यक्षमता और उत्पादकता को बढ़ाएगी, बल्कि कर्मचारियों के जीवन की गुणवत्ता को भी सुधारने का काम करेगी।



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