भारत की पहली स्वदेशी “चिप”

Jitendra Kumar Sinha
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तकनीक और आत्मनिर्भरता की दिशा में भारत ने एक और बड़ा मुकाम हासिल कर लिया है। देश की पहली 32-बिट माइक्रोप्रोसेसर चिप तैयार हो चुका है और इसे मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को औपचारिक रूप से सौंपा गया। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने सेमीकॉन इंडिया-2025 के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि “भारत की सबसे छोटी चिप दुनिया में सबसे बड़े बदलाव का कारण बनेगी।”

अब तक सेमीकंडक्टर निर्माण में भारत की यात्रा थोड़ी देर से शुरू हुई थी, लेकिन जिस तेजी और प्रतिबद्धता से यह सफर आगे बढ़ रहा है, वह आने वाले समय में देश को दुनिया की अग्रणी तकनीकी ताकत बना सकता है। प्रधानमंत्री ने स्पष्ट कहा कि अब भारत को रोकने की ताकत किसी के पास नहीं है। यह उपलब्धि केवल तकनीकी नहीं, बल्कि आर्थिक और रणनीतिक दृष्टिकोण से भी बेहद महत्वपूर्ण है।

यह 32-बिट माइक्रोप्रोसेसर एक बार में 32 बिट्स डेटा प्रोसेस करने में सक्षम है। इसे खासतौर पर इस तरह डिजाइन किया गया है कि यह अंतरिक्ष और रक्षा क्षेत्र की कठोर परिस्थितियों जैसे अधिक गर्मी, अत्यधिक ठंड और कंपन को आसानी से झेल सके। यह न केवल गणना और डाटा प्रोसेसिंग कर सकती है बल्कि जटिल कंट्रोल सिस्टम्स को भी चलाने में सक्षम होगी।

भारत की इस चिप से इसरो के अंतरिक्ष अभियानों को बड़ा लाभ मिलेगा। वर्तमान में इसरो अपने लॉन्च व्हीकल्स में 16-बिट प्रोसेसर का उपयोग करता आ रहा है, जो 2009 से संचालित है। नई 32-बिट चिप के आने से उपग्रह प्रक्षेपण अभियानों की कार्यक्षमता, गति और सुरक्षा में कई गुना सुधार होगा। रक्षा क्षेत्र में भी यह चिप महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

मोदी ने सेमीकंडक्टर उद्योग से जुड़े विशेषज्ञों और स्टार्टअप्स को “चिप-टू-स्टार्टअप” कार्यक्रम का अधिक से अधिक लाभ उठाने का आह्वान किया। इससे युवाओं को न केवल रोजगार के नए अवसर मिलेंगे बल्कि भारत को वैश्विक तकनीकी बाजार में प्रतिस्पर्धी बढ़त भी मिलेगी।

सेमीकंडक्टर तकनीक को आधुनिक युग की रीढ़ कहा जाता है। मोबाइल फोन से लेकर कंप्यूटर, रक्षा उपकरणों से लेकर अंतरिक्ष यानों तक, हर क्षेत्र में चिप्स का इस्तेमाल होता है। अब तक भारत इस क्षेत्र में विदेशी कंपनियों पर निर्भर था, लेकिन पहली स्वदेशी चिप के निर्माण से आत्मनिर्भर भारत अभियान को नई ऊर्जा मिली है।

भारत की यह ऐतिहासिक उपलब्धि केवल एक चिप का निर्माण नहीं है, बल्कि यह उस सपने की ओर कदम है जिसमें भारत वैश्विक स्तर पर तकनीकी रूप से आत्मनिर्भर और अग्रणी बनेगा। 32-बिट स्वदेशी माइक्रोप्रोसेसर न केवल विज्ञान और तकनीक की दुनिया में भारत का परचम लहराएगा बल्कि आने वाली पीढ़ियों को भी यह संदेश देगा कि यदि संकल्प मजबूत हो तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है।



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