बिहार की राजनीति में चुनावी माहौल ऐसा है मानो गर्मी के दिनों में अचानक लू चलने लगे। आधिकारिक चुनावी बिगुल अभी नहीं बजा है, लेकिन गाँव से लेकर शहर तक हर गली-मोहल्ले में चर्चा चुनावी समीकरणों की हो रही है। चाय की दुकान से लेकर पंचायत चौपाल तक एक ही बहस “कौन बनेगा बिहार का सरताज?”
दिलचस्प स्थिति यह है कि मुकाबला सीधे तौर पर NDA (भारतीय जनता पार्टी + जदयू + सहयोगी दल) और INDI गठबंधन (राजद + कांग्रेस + वाम दल) के बीच है। वहीं, प्रशांत किशोर (PK) और उनकी “जनसुराज पार्टी” का शोर-शराबा भले चुनावी सीन को सजाता दिख रहा है, लेकिन जमीन पर उनकी भूमिका फिलहाल “वोटकटवा” से आगे नहीं बढ़ती नजर आ रही है।
बिहार की सियासत में लंबे समय से भाजपा और जदयू गठबंधन का वर्चस्व रहा है। मगर इस बार का समीकरण थोड़ा अलग है। NDA की स्थिति- भाजपा का पारंपरिक कैडर वोट धीरे-धीरे कमजोर हो रहा है। स्थानीय नेताओं की आपसी खींचतान और गुटबाज़ी ने पार्टी के वोटरों को भ्रमित किया है। जदयू (नीतीश कुमार) की लोकप्रियता अभी भी ग्रामीण इलाकों में “काम करने वाले मुख्यमंत्री” की छवि के कारण बनी हुई है।
INDI की स्थिति- राजद का कैडर वोट आज भी लोहे की तरह मजबूत है। लालू प्रसाद की परंपरागत राजनीति और तेजस्वी की नई छवि का मिश्रण, खासकर युवाओं और अल्पसंख्यकों में, भारी समर्थन जुटा रहा है। कांग्रेस जमीन तलाशने में जुटी है, और इस प्रक्रिया में वह राजद को और भी मजबूत कर रही है।
प्रशांत किशोर, जो राष्ट्रीय स्तर पर चुनावी रणनीतिकार के तौर पर नाम कमा चुके हैं, बिहार की सियासत में “जन सुराज” के नाम पर अपनी पार्टी खड़ा करने में लगे हैं। गाँव-गाँव जाकर उन्होंने लंबी यात्राएँ की हैं। वोटर अधिकार यात्रा जैसे अभियानों ने चर्चा तो खूब बटोरी है। मगर सच यही है कि फिलहाल उनका वोट NDA या INDI के खिलाफ निर्णायक ताकत नहीं बन रहा। असल में, PK के समर्थक वही तबके हैं जहाँ पहले से ही गठबंधन की पकड़ मजबूत है। ऐसे में उनके मैदान में उतरने से वोटों का बिखराव जरूर होगा, लेकिन यह सीधे तौर पर NDA के खिलाफ नुकसानदायक साबित हो सकता है।
चुनावी समीकरण का असली हाल गाँव ही बताता है।गाँवों में आज जदयू के पक्ष में स्पष्ट लहर दिखाई दे रहा है। भाजपा को लेकर कार्यकर्ताओं का उत्साह उतना नहीं है, जितना पिछले चुनावों में था। राजद की पकड़ मजबूत है, मगर कांग्रेस को लेकर संदेह है कि क्या वह गठबंधन के लिए “मददगार” साबित होगा या “बोझ”।
PK की वोटर अधिकार यात्रा ने मीडिया में सुर्खियाँ खूब बटोरीं, लेकिन वास्तविकता यही है कि जिन रूटों पर यह यात्रा गई, वहाँ पहले से ही उनका संगठन मजबूत था। नए वोटरों को जोड़ने या राजनीतिक जमीन बदलने में यह यात्रा कोई खास प्रभाव नहीं डाल पाई। नतीजा NDA और INDI दोनों ही अपनी-अपनी पकड़ बनाए हुए हैं।
अगर आज बिहार में चुनाव हो जाए तो स्थिति इस प्रकार दिखती है कि NDA – 128 सीटें, INDI – 109 सीटें और अन्य – 6 सीटें। लेकिन, ध्यान देने वाली बात यह है कि लगभग 113 सीटों पर लड़ाई 3% वोट के अंतर से तय होगी। यहाँ PK की उपस्थिति निर्णायक हो सकती है।
भाजपा का सबसे बड़ा संकट यह है कि उसके पास बिहार में कोई बड़ा स्थानीय चेहरा नहीं है। केंद्रीय नेतृत्व पर भरोसा तो है, मगर स्थानीय स्तर पर नेताओं के बीच आपसी टकराव और गुटबाजी ने संगठन को कमजोर किया है। यही कारण है कि भाजपा का कैडर वोट टूटता दिख रहा है।
नीतीश कुमार की सबसे बड़ी ताकत उनकी गाँव-गाँव में बनी “काम करने वाले मुख्यमंत्री” की छवि है। सड़क, बिजली, पानी और शिक्षा के क्षेत्र में उनकी नीतियों का असर अब भी ग्रामीण इलाकों में देखा जा सकता है। यही कारण है कि जदयू NDA में सबसे बड़ा फायदा उठाने वाली पार्टी बनती दिख रही है।
राजद की सबसे बड़ी ताकत उसका अटूट कैडर वोट बैंक है। यादव + मुस्लिम समीकरण अब भी मजबूत है। कांग्रेस के कमजोर होने का फायदा सीधा राजद को मिल रहा है। तेजस्वी की “रोजगार” वाली राजनीति युवाओं को आकर्षित कर रही है।
कांग्रेस फिलहाल “गायब होती ताकत” की तरह दिख रही है। उसके पास अपने दम पर जीतने लायक सीटें नहीं हैं। लेकिन गठबंधन में रहने से राजद को उसका राजनीतिक और सामाजिक समर्थन जरूर बढ़ता है।
भले ही आज PK वोटकटवा लग रहे हैं, मगर उनके अभियान और संगठनात्मक ढाँचे को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। अगर वे लगातार मेहनत करते रहे तो भविष्य में वे तीसरे मोर्चे के रूप में उभर सकता है। लेकिन 2025 का चुनाव उनके लिए नहीं, बल्कि उनके राजनीतिक सफर की “परीक्षा” होगा।
कुल मिलाकर बिहार की राजनीति इस समय बेहद दिलचस्प मोड़ पर खड़ी है। NDA का पलड़ा भारी दिख रहा है, लेकिन भाजपा का कैडर वोट टूटने से जदयू ही सबसे बड़ा विजेता बनकर उभर सकता है। INDI गठबंधन में राजद अपने मजबूत कैडर और युवाओं को लेकर चुनावी जंग में मजबूती से खड़ा है। PK का असर फिलहाल सीमित है, लेकिन उनके वोट काटने से कई सीटों पर समीकरण पलट सकते हैं। अगर चुनाव आज हो, तो परिणाम होगा NDA- 128, INDI- 109 और अन्य- 6 और असली लड़ाई उन 113 सीटों पर होगी जहाँ मामूली वोटों का अंतर भविष्य का फैसला करेगा।
