शिक्षा विभाग की अनोखी पहल - पौधरोपण से जुड़ेंगे सत्रांक

Jitendra Kumar Sinha
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वर्तमान समय में पर्यावरण संकट मानव जीवन के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन चुका है। प्रदूषण, वनों की अंधाधुंध कटाई, जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग जैसी समस्याओं ने इंसान के अस्तित्व पर प्रश्नचिह्न खड़ा कर दिया है। इस संकट से निपटने के लिए सबसे सरल और प्रभावी उपाय है – पौधरोपण।

परंतु, प्रश्न यह उठता है कि समाज के हर वर्ग को पर्यावरण संरक्षण के इस महायज्ञ में कैसे जोड़ा जाए? इस प्रश्न का उत्तर खोज निकाला है शिक्षा विभाग, राजस्थान (सिरोही जिला कार्यालय) ने। उन्होंने कक्षा 5 से 12वीं तक के विद्यार्थियों को पौधे लगाने पर अंक देने का अभिनव निर्णय लिया है। यह कदम न केवल शिक्षा जगत में एक बड़ा बदलाव है बल्कि यह समाज में हरियाली और पर्यावरण चेतना लाने का क्रांतिकारी प्रयास भी है।

शिक्षा का उद्देश्य केवल ज्ञान अर्जन या परीक्षा में अंक पाना भर नहीं है, बल्कि विद्यार्थियों में मानवीय संवेदनाएँ, सामाजिक उत्तरदायित्व और प्रकृति के प्रति संवेदनशीलता विकसित करना भी है। इस पहल के तहत कक्षा 5 से 12वीं तक के हर विद्यार्थी को पौधरोपण करना अनिवार्य होगा। लगाए गए पौधों की फोटोग्राफी और देखभाल का रिकॉर्ड स्कूल में जमा करना होगा। पौधरोपण के अंक विद्यार्थियों के सत्रांक में जोड़े जाएंगे और यह अंतिम परिणाम का हिस्सा होगा। यह योजना केवल "बोर्ड परीक्षाओं" तक सीमित नहीं है बल्कि हर कक्षा पर लागू होगा। यह कदम शिक्षा को व्यवहारिक जीवन से जोड़ने की दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकता है।

योजना के अंतर्गत विद्यार्थियों को विभिन्न विषयों के साथ-साथ पौधरोपण के लिए भी अंक दिया जाएगा। कक्षा 5 हिन्दी, अंग्रेजी, गणित में 2-2 अंक, पर्यावरण में 4 अंक, पौधरोपण में 10 अंक, कक्षा 6-7 हिन्दी, अंग्रेजी, गणित, सामाजिक विज्ञान, तृतीय भाषा में 5-5 अंक, विज्ञान में 5 अंक, पौधरोपण में 10 अंक, कक्षा 8 हिन्दी, अंग्रेजी, गणित, सामाजिक विज्ञान, तृतीय भाषा में 5-5 अंक, विज्ञान में 5 अंक, पौधरोपण में 10 अंक, कक्षा 9 हिन्दी, अंग्रेजी, गणित, सामाजिक विज्ञान, तृतीय भाषा में 5-5 अंक, विज्ञान में 5 अंक, पौधरोपण में 10 अंक, कक्षा 10 हिन्दी, अंग्रेजी, गणित, सामाजिक विज्ञान, तृतीय भाषा में 5-5 अंक, विज्ञान में 2 अंक, पौधरोपण में 7 अंक, कक्षा 11 हिन्दी एव अंग्रेजी अनिवार्य में 2-2 अंक, वैकल्पिक विषय में 3 अंक,पौधरोपण में 7 अंक, कक्षा 12 हिन्दी एव अंग्रेजी अनिवार्य में 2-2 अंक, तीन वैकल्पिक विषय 1-1 अंक और पौधरोपण में 7 अंक। स्पष्ट है कि हर कक्षा में पौधरोपण को अनिवार्य स्थान दिया गया है, जिससे विद्यार्थी केवल पुस्तकीय ज्ञान तक सीमित न रहकर पर्यावरण के संवाहक बनें।

पारंपरिक रूप से शिक्षा को केवल पाठ्यपुस्तकों और परीक्षा के अंकों तक सीमित माना गया। लेकिन आज की परिस्थितियाँ कहती हैं कि शिक्षा को जीवन की वास्तविक समस्याओं से जोड़ा जाए। पौधरोपण को अंकन से जोड़कर विद्यार्थियों में हरियाली के प्रति स्वाभाविक लगाव पैदा होगा। विद्यार्थी स्वयं पेड़ लगाकर परिवार और समाज में प्रेरणा का स्रोत बनेंगे। एक-एक पौधा भविष्य में विशाल वृक्ष बनेगा, जो न केवल ऑक्सीजन देगा बल्कि पारिस्थितिकी संतुलन बनाए रखने में योगदान देगा।

विद्यार्थी जब पौधरोपण करेंगे तो उनके सामने केवल अंक प्राप्त करने का लक्ष्य नहीं होगा, बल्कि वे सीखेंगे केवल पेड़ लगाना ही नहीं, बल्कि नियमित पानी देना, खाद डालना और उसे सुरक्षित रखना भी सीखना होगा। जब विद्यार्थी देखेंगे कि उनका लगाया पौधा दिन-ब-दिन बड़ा हो रहा है, तो उनमें ममत्व और गर्व की भावना पैदा होगी। विद्यार्थी अपने परिवार और समाज में दूसरों को भी प्रेरित करेंगे।

नई शिक्षा नीति 2020 में भी "अनुभवात्मक शिक्षा" (Experiential Learning) और "पर्यावरण शिक्षा" पर बल दिया गया है। राजस्थान शिक्षा विभाग का यह निर्णय उसी दिशा में एक व्यावहारिक कदम है। यह न केवल पाठ्यक्रम का हिस्सा बनेगा बल्कि जीवन मूल्य भी स्थापित करेगा। इससे विद्यार्थी "अंक प्राप्त करने वाले छात्र" भर नहीं रहेंगे, बल्कि "पर्यावरण संरक्षक नागरिक" भी बनेंगे।

यदि इस योजना को पूरी गंभीरता से लागू किया जाए, तो इसके परिणाम दूरगामी होंगे। लाखों विद्यार्थी हर साल पौधे लगाएंगे, जिससे प्रदेश में हरियाली बढ़ेगी। पौधे कार्बन डाइऑक्साइड अवशोषित करते हैं और ऑक्सीजन प्रदान करते हैं। इससे प्रदूषण और ग्लोबल वार्मिंग पर नियंत्रण संभव होगा। जब विद्यार्थी अपने परिवार के साथ पौधे लगाएंगे तो यह पहल समूह आंदोलन का रूप लेगी।

हर नई योजना के सामने चुनौतियाँ आती हैं। विद्यार्थी केवल "अंक पाने" के लिए पौधे लगाकर भूल सकते हैं।
पौधों की नियमित देखभाल की कमी से वे सूख सकते हैं। ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में पौधरोपण के लिए स्थान की समस्या आ सकती है। स्कूलों के लिए रिकॉर्ड प्रबंधन कठिन हो सकता है।

पौधों की देखभाल को भी अंकन का हिस्सा बनाया जाए। सामुदायिक पार्क, स्कूल प्रांगण और सार्वजनिक स्थल उपयोग में लाए जाएँ। स्कूल स्तर पर "ग्रीन क्लब" बनाकर विद्यार्थियों को जिम्मेदारी दी जाए। समय-समय पर निरीक्षण कर वास्तविक पौधरोपण सुनिश्चित किया जाए।

भारत में कई बार देखा गया है कि जब विद्यार्थी किसी सामाजिक आंदोलन से जुड़ते हैं, तो उसका प्रभाव व्यापक होता है। स्वच्छ भारत अभियान में विद्यार्थियों की भागीदारी ने जागरूकता फैलाई। पोलियो उन्मूलन अभियान में भी बच्चों ने संदेशवाहक की भूमिका निभाई। अब यदि पौधरोपण को विद्यार्थी आंदोलन का रूप देंगे तो यह "हरित क्रांति 2.0" बन सकता है।

यह पहल सीधे तौर पर इन अभियानों से जुड़ी है। हरियाली राजस्थान 2.0 प्रदेश को हराभरा बनाने का लक्ष्य। एक पेड़ माँ के नाम प्रत्येक विद्यार्थी अपनी माँ को समर्पित कर एक पौधा लगाएगा, जिससे भावनात्मक जुड़ाव बढ़ेगा।

राजस्थान शिक्षा विभाग का यह निर्णय केवल अंकन प्रणाली में बदलाव भर नहीं है, बल्कि यह एक हरित भविष्य की आधारशिला है। विद्यार्थी अब अंक प्राप्त करने के साथ-साथ प्रकृति के भी रक्षक बनेंगे। हर साल लाखों पौधे लगेंगे, जो आने वाली पीढ़ियों को स्वच्छ वायु और हरियाली देंगे। यह पहल शिक्षा और समाज, दोनों को नई दिशा देने वाली साबित होगी।



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