सामाजिक और पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक को लद्दाख में स्टेटहुड और संवैधानिक सुरक्षा के विरोध प्रदर्शन के बाद गिरफ्तार किया गया और उनकी गिरफ्तारी के कुछ समय बाद सुरक्षा कारणों से उन्हें विशेष उड़ान से लेह से जोधपुर भेजा गया; जोधपुर पहुंचने के बाद उन्हें कड़े सुरक्षा इंतज़ामों के बीच जेल के हाई-सिक्योरिटी वार्ड में रखा गया है जहाँ उनकी मेडिकल जांच पूरी कर ली गई है और 24 घंटे सीसीटीवी निगरानी होगी। इस हिंसक प्रदर्शन के दौरान चार लोगों की मौत हुई और करीब 90 लोग घायल बताए गए हैं, जिसके बाद लेह में कर्फ्यू और मोबाइल इंटरनेट पर पाबंदी आदि कड़े कदम उठाए गए। वांगचुक को उनके गांव उल्याकटोपो से पुलिस की एक टीम ने हिरासत में लिया, जिसकी अगुवाई डीजीएसडी सिंह जमवाल कर रहे थे, और आयोजनकर्ताओं ने कहा कि वांगचुक तय समय पर प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं पहुंचे।
लेह के एपेक्ष बॉडी के सह-अध्यक्ष चेरिंग दोरजे ने किसी विदेशी हस्तक्षेप के दावों को खारिज करते हुए न्यायिक जांच की मांग की और यह भी आरोप लगाया कि पुलिस/सीआरपीएफ ने भीड़ को नियंत्रित करने में चेतावनी गोली नहीं चलाई बल्कि सीधे फायरिंग की। बताया गया है कि वांगचुक का नेतृत्व में 10 सितंबर से 35 दिन का अनशन चल रहा था और केंद्र ने 6 अक्टूबर को वार्ता के लिए निमंत्रण भेजा था; वहीं उनकी गिरफ्तारी से एक दिन पहले उनके संगठन SECMOL का FCRA लाइसेंस रद्द कर दिया गया था, जिसे अधिकारी कथित वित्तीय अनियमितताओं से जोड़ रहे हैं। जो घटनाक्रम और सुरक्षा कदम उठाए गए, उन सब के मद्देनज़र स्थानीय प्रशासन ने कड़ी सुरक्षा और सार्वजनिक आयोजन पर प्रतिबंध लागू किए हैं तथा मामले की आगे की कानूनी और प्रशासनिक कार्रवाई चल रही है।
